अली अपने अगले शो के लिए असली ख़ुफ़िया दुश्मनों से लड़ते हुए हद तक जा पहुँचे!

अली फजल को यह बहुत अच्छी तरह से पता है कि परदे पर निभाए जानेवाले अपने क़िरदारों के प्रति संजीदा कैसे रहना है। मौका था उनके अगले क़िरदार का, एक प्रमु� ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए एक बन रही एक सीरीज़ जिसने उन्हें कैमरे के सामने अपना बेहतरीन प्रदर्शन करने के लिए कुछ अलग करने को प्रेरित किया।

अली फजल गुडु पंडित की भूमिका निभा रहे हैं, जो एक गैंगस्टर है जो कि एक ऐसे इलाक़े पर अपनी धाक जमाने की तैयारी में है जहाँ कानून का नामोनिशान नहीं है और जहाँ हथियारों और नशीली दवाओं का कारोबार एक आम बात है। परदे पर कभी भी एक ख़लनायक की भूमिका न निभाने की वजह से, अली इस सीरीज़ को फिल्माए जाने के दौरान पूरी तरह से उसमें डूब गए थे। वो भी इस क़दर कि इस शो के लड़ाई के दृश्यों में �ुद को ढालने और अपने स्टंट सही तरीक़े से करने के लिए अपने रंग रूप में ज़बरदस्त बदलाव करने के अलावा, अली ने ख़ुफ़िया फाइट क्लब्स को भी ढूँढ़ निकालना शुरू कर दिया। उन्होंने अपने एक दोस्त की जानकारी के सहारे ऐसे क्लब्स बहुत ही ख़ुफ़िया तरीक़े से जाना और ऐसे देसी ख़ुफ़िया लड़ाकूओं की लड़ने के तौर-तरीक़ों को समझने और अपनाना शुरू कर दिया। वे ऐसे दो मैच �ेलकर भी आये और बहुत से चोटों के निशान लेकर सेट पर आये, उनकी शक्ल-सूरत में आये बदलावों को दे�कर सभी सोचने पर मजबूर हो गए।

जब अली से पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “मुझे ऐसी जगहों में जाने के लिए अपना नाम बदलना पड़ा। मिर्जापुर की शूटिंग करते हुए मेरे लिए यह अभी तक का सबसे डरावना लेक़िन रोमांचक रहा है। मैं यह बात गर्व से नहीं कह रहा हूँ और न ही दूसरों को ऐसा करने के लिए कह रहा हूँ। औरों के लिए मैं यह सलाह दूँगा कि कुछ नया करना है तो ऐक्टिंग आज़माओ पर उसके तौर-तरीक़े भूल जाओ। अपनी इस आज़माइश के दौरान मेरा बनारस और भदोही के ख़ुफ़िया लड़ाई के घरानों से पाला पड़ा, जहाँ मैंने इस धंधे के कुछ गुर सी�े। उनसे मुझे मदद मिली।”

ऐसा लगता हैइन सब चीज़ों का फ़ायदा तो हुआ है क्योंकि अली मिर्ज़ापुर शो के गुड्डू के अपने क़िरदार में एक शरीफ़ इंसान से शहर के सबसे �तरनाक आदमी बन जाते है।