भगवान महावीर का जन्म वाचन कर चौदह स्वप्नों की व्याख्या की

इन्दौर । हम जिन्हें रियल मानते हैं दरअसल उनसे केवल हमारा रिलेशन ही होता है। रियल तो केवल हमारी आत्मा ही है जो हर जन्म में हमारे साथ रहती है। भगवान महावीर का जीवन भी यही बात प्रतिपादित करता है कि हमने जिंदगी के मूल को भुला दिया यही हमारी अज्ञानता है। रियल तो हमारी आत्मा है जो शाश्वत है, सत्य है।
यह बात आज महावीर स्वामी के जन्म वाचन के अवसर पर महावीर नगर में साध्वी डॉ आदर्श ज्योति जी मसा ने कही। श्री वर्धमान श्वेतांम्बर स्थानकवासी जैन श्रावक संघ (पूर्वी क्षेत्र) से जुड़े विक्रम श्रीमाल ने बताया कि पर्युषण पर्व के पांचवे दिन रविवार को आदर्श ज्योति मसा ने मां त्रिशला के 14 स्वप्नों का वाचन कर सभी श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित किया। उन्होंने रियल और रिलेटिव में अंतर बताते हुए कहा कि हम रियल को रिलेटिव मान लेते हैं। इसलिए हम दुखी हैं। पति पत्नी, माता पिता, बेटा बेटी रियल नहीं हैं, रिलेटिव हैं। हमारी आत्मा ही रियल है जो हर जन्म में हमारे साथ रहती है। जीवन के हमें बायपास का सूत्र अपनाना चाहिए। जीवन में विपरीत परिस्थितियों में अगर हमने एडजस्ट कर लिया तो आपको सही आनंद प्राप्त होगा। जब हम व्यावहारिक जीवन में सभी परिस्थितियों को एडजस्ट करते हैं तो फिर हम हमारी आत्मा की शांति के लिए एडजस्टमेंट क्यो नहीं करते। यही शिक्षा हमें भगवान महावीर स्वामी के जीवन से सीखने को मिलती है। आपने कहा कि जिस प्रकार रोटी बेलने के लिए पलेथन, पराठा सेंकने के लिए तेल या घी आवश्यक होता है उसी तरह हम जीवन में किसी को फेबरेबल बनाएं इससे अच्छा किसी के फेबरेबल बनाना सीखें। आज नित्य पूजन पाठ के साथ ही कल्प सूत्र के वाचन के साथ ही भगवान महावीर के जन्म से पूर्व माता त्रिशला को आए 14 स्वप्नों को नाटिका के माध्यम से महिला मंडल व बच्चों ने प्रस्तुत किया।