इन्दौर। शिष्य गुरु चरणों को पावन समझ गुरु की हर आज्ञा का पालन करने में वह अपना सौभाग्य समझता है। एक सच्चे शिष्य का गुरु के प्रति समर्पण गुरु को अपना बनाना नहीं बल्कि उसका समग्र जीवन गुरु के नाम हो जाए यह उद्देश्य होता है। शिष्य हमेशा गुरु के आचरण से प्रभावित होता है। गुरु ओर शिष्य का रिश्ता साधारण नहीं होता।
यह बात विद्यासागर जी महाराज की शिष्या आर्यिका पूर्णमति माता ने दलालबाग में आयोजित चातुर्मासिक प्रवचनों के दौरान ज्ञान धारा ग्रन्थ में लिखित गुरु की महिमा पर सभी श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने ज्ञान गंगा पुस्तक में समावेश ज्ञान को भी सभी को अवगत कराया।
:: ज्ञान गंगा पुस्तक स्वयं लिखी ::
संयोजक विपुल बांझल ने बताया कि आर्यिका पूर्णमति माताजी ने ज्ञान गंगा पुस्तक में अपने गुरु विद्यासागर महाराज के जीवन से प्रभावित होकर लिखी है। उसी पर आधारित गुरु और शिष्य के बीच आज से प्रारम्भ प्रवचनमाला की शुरुआत की भी दलालबाग में हुई।
:: प्रतिदिन दलालबाग में प्रवचन ::
सचिन सुपारी ने बताया कि दलालबाग में जारी चातुर्मासिक प्रवचन सभी श्रावक-श्राविकाओं के लिए प्रात: 8 से 10 बजे तक आयोजित किए जाएंगे। इसी के साथ 1 से 10 अक्टूबर तक दलालबाग में भक्तामर महामंडल विधान का आयोजन सुबह 7 से 10 बजे तक किया जाएगा। जिसमें हजारों समाज बंधु शामिल होंगे।