पीएम मोदी ने पंचमहाल ज़िले के नागरिकों को 885.42 करोड़ रुपए के विकास कार्यों की भेंट दी

पंचमहल | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि स्पष्ट नीति तथा स्वच्छ नीयत के साथ कार्य करके अंबाजी से उमरगाम तक के आदिवासी क्षेत्र के आदिवासी बंधुओं का सर्वांगीण विकास कर उन्हें मुख्य धारा में लाया गया है। उन्होंने कहा है कि शिक्षा, रोज़गार, कौशल्य विकास, स्वास्थ्य व सिंचाई जैसी बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराकर आदिवासियों का जीवन बेहतर बनाया गया है। पहले की तुलना में पिछले दो दशकों में नीति निर्धारण से जुड़े मामलों में अब आदिवासियों की भागीदारी बढ़ी है। मोदी मंगलवार को पंचमहाल ज़िले के आदिवासी क्षेत्र जांबूघोडा तहसील के ककरोलिया से पंचमहाल ज़िले में 885.42 करोड़ रुपए के विकास कार्यों का लोकार्पण-शिलान्यास कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने 52 करोड़ रुपए की लागत से गोविंद गुरु यूनिवर्सिटी, गोधरा के नवनिर्मित प्रशासनिक परिसर, जांबूघोडा तहसील के वडेफ गाँव में नवविकसित संत जोरिया परमेश्वर प्राथमिक विद्यालय तथा उसके परिसर में जोरिया परमेश्वर की प्रतिमा सहित दांडियापुरा गाँव में रूपसिंह नायक प्राथमिक विद्यालय एवं विद्यालय में ही निर्मित रूपसिंह नायक की प्रतिमा का भी लोकार्पण किया। प्रधानमंत्री के करकमलों से गोधरा में 522 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित होने वाले GMERS-मेडिकल कॉलेज, 164 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से निर्मित होने वाली कौशल्य – द स्किल यूनिवर्सिटी, 23.87 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित होने वाले नवीन केन्द्रीय विद्यालय परिसर सहित 710.63 करोड़ रुपए की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया। उन्होंने गोविंद गुरु यूनिवर्सिटी के 122.18 करोड़ रुपए की लागत वाले ढाँचागत सुविधा कार्यों का भूमिपूजन भी किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आदिवासी आदिकाल से गुजरात में बसते हैं, परंतु पहले उनके विकास की अवहेलना की गई थी। आदिवासी बंधुओं के लिए मूलभूत तथा बुनियादी सुविधाओं का अभाव था। आदिवासी युवाओं को शिक्षा लेनी हो, तो बाहर जाना पड़ता था। पीने के पानी के लिए बोरवेल जैसे स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता था। गाँव में एक बोरवेल बनाए जाने पर भी उसका ढोल-नगाड़े बजा कर स्वागत किया जाता था। किसी सामान्य बीमारी की स्थिति में शहरों के दवाखानों की ओर देखना पड़ता था। लंबी लाइनों में इंतज़ार करना तथा बाहर ही रात्रि निवास करना पड़ता था। आदिवासी क्षेत्रों में ऐसी दारूण स्थिति थी। उन्होंने कहा कि हमने अंबाजी से उमरगाम तक के विकास पर ध्यान केन्द्रित कर बुनियादी सुविधाएँ देना शुरू कीं और इससे आए परिवर्तन आज देखे जा सकते हैं। डॉक्टर-इंजीनियर बनने के इच्छुक छात्रों के लिए स्थानीय स्तर पर साइंस स्ट्रीम के स्कूल शुरू किए गए हैं। 10 हज़ार नए स्कूल शुरू किए गए हैं। इतना ही नहीं, तहसील स्तर पर 11 साइंस कॉलेज, 11 कॉमर्स, 23 आर्ट्स कॉलेज, अनेक छात्रालय शुरू करने के साथ गोधरा में श्री गोविंद गुरु यूनिवर्सिटी तथा नर्मदा ज़िले में बिरसा मुंडा यूनिवर्सिटी शुरू कर आदिवासी महापुरुषों के नाम उनके साथ जोड़ गए हैं। आदिवासी क्षेत्रों में मेडिकल कॉलेज भी शुरू होने से आदिवासी युवाओं को घर के निकट ही चिकित्सा शिक्षा और वह भी मातृभाषा में मिलेगी।
स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी महापुरुषों के योगदान की यशगाथा का वर्णन करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि नायका आंदोलनों ने 1857 की क्रांति में नई ऊर्जा व चेतना प्रकटित की थी। क्रांति नायक तात्या टोपे के साथ इस क्षेत्र के वीर पुरुषों संत जोरिया परमेश्वर तथा रूपसिंह नायक ने जुड़ कर अद्भुत साहस, मातृभूमि के लिए प्रेम दर्शाते हुए अंग्रेज़ सल्तनत की चूलें हिला दी थीं। ऐसे वीर पुरुषों के माध्यम से भावी पीढ़ी को इतिहास बोध मिलत रहे; इसके लिए उनके नाम स्कूलों के साथ जोड़ कर उन्हें अमरत्व दिया गया है। मोदी ने कहा कि दशकों तक सत्ता में बैठे लोगों ने आदिवासी तथा अनादिवासी के बीच विकास की खाई पैदा की थी और आदिवासियों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा था। हमारी सरकार ने सबके प्रयास की भावना से आदिवासियों को विकास प्रक्रिया में जोड़ कर उमरगाम से अंबाजी तक विभिन्न आदिजाति योजनओं के प्रभावी क्रियान्वयन केसाथ परिवर्तन को धरती पर उतारा है। अब आदिवासियों से पूछा जाता है कि उन्हें कब, क्या, कितना और कहाँ चाहिए ? इस समाज को नीति निर्धारण में भागीदार बनाया गया है। उन्होंने कहा कि वनबंधु कल्याण योजना ने आदिवासी ज़िलों में सर्वांगीण विकास का कार्य किया है। इस योजना पर लगभग 1 लाख करोड़ रुपए ख़र्च किया गया है। राज्य सरकार द्वारा आने वाले समय में और एक लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसके फलस्वरूप आदिवासी क्षेत्रों में घर-घर पानी, सूक्ष्म सिंचाई, स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल्यवर्द्धन, सड़क एवं महिला सशक्तिकरण, रोज़गार जैसी सुविधाओं का विस्तार होगा। आदिवासी बंधुओं को पढ़ाई, कमाई, सिंचाई और दवाई सुविधाओ देने में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी। मोदी ने कहा कि आदिजाति क्षेत्रों में डबल इंजन सरकार ने 1400 से अधिक हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर शुरू किए हैं। इससे आदिवासी बंधुओं के लिए स्वास्थ्य सुविधाएँ सुलभ बनी हैं। इसके साथ ही सिकलसेल एनीमिया जैसी आनुवांशिक बीमारी दूर करने के लिए अनुसंधान जारी हैं। इसके परिणाम आगामी दिवसों में मिलने की संभावना है। हमारी सरकार ने इस बीमारी के निर्मूलन का बीड़ा उठाया है। उन्होंने कहा कि औद्योगिकीकरण बढ़ने के साथ आदिवासी युवाओं के लिए रोज़गार के नए अवसर पैदा हुए हैं। उन्होंने कहा कि पहले गोधरा, पंचमहाल जैसे क्षेत्रों के युवा केवल डामर रोड या कंस्ट्रक्शन कार्य से जुड़े हुए थे और कड़ा परिश्रम कर पैसे कमाते थे। अब इन क्षेत्रों में नए उद्योगों के आने से उनके लिए रोज़गार का सृजन हुआ है। हालोल या कालोल की किसी भी कंपनी में देखें, तो पता चलेगा कि वहाँ काम करने वाले कामगारों में आधे तो आदिवासी युवा होंगे। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद वर्षों तक केन्द्र सरकार में आदिजातियों के हित की चिंता करने के लिए पृथक मंत्रालय नहीं था। इस बात को ध्यान में रखते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने आदिवासियों के लिए अलग मंत्रालय बना कर जनजाति विकास को प्राथमिकता दी, जिससे इस समाज के विकास को वेग मिला है। मोदी ने कहा कि अनेक पुराने क़ानूनों को समाप्त कर आदिवासियों के लिए सहूलियतें की गई हैं। बाँस न काटे जा सकने का क़ानून लागू था, जिसके कारण आदिवासियों को कठिनाई होती थी। इस क़ानून को समाप्त कर बाँस को घास मानना शुरू किए जाने से अब आदिवासियों के लिए बाँस के उत्पादन रोज़गार का माध्यम बने हैं। वनधन योजना शुरू कर आदिवासियों द्वारा उत्पादित 80 से अधिक वनोत्पादों की पोषक दामों से ख़रीदारी की गई है। उन्होंने सहर्ष कहा कि भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस 15 नवंबर को जनजातिय गौरव दिवस के रूप में मनाने की परम्परा शुरू की गई।
प्रधानमंत्री ने ग़रीब, दलित, पिछड़े व आदिवासी समुदायों के प्रति डबल इंजन सरकार के निरंतर प्रयासों की भूमिका देते हुए मुफ़्त राशन योजना, मुफ़्त कोविड टीका, गऱरीबों के लिए 5 लाख रुपए तक का उपचार, गर्भवती महिलाओं को पोषक आहार मुहैया कराने में सहायता कराने तथा छोटे किसानों को खाद के लिए लोन प्राप्ति, पीएम किसान सम्मान निधि योजना के उदाहरण दिए। उन्होंने कहा कि बीज, बिजली बिल में सीधी आर्थिक सहायता हो या पक्के मकान, शौचालय, गैस कनेक्शन तथा नल कनेक्शन जैसी सुविधा हो, इनका सर्वाधिक लाभ आदिवासियों, दलितों एवं पिछड़े परिवारों को मिला है। भारत की संस्कृति एवं आस्था को बचाने के लिए बलिदान देने वाले आदिवासी नायकों के इतिहास की झाँकी कराते हुए मोदी ने चाँपानेर, शामळाजी, पावागढ, सोमनाथ तथा हल्दीघाटी के उदाहरण दिए और कहा कि अब पावागढ मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है तथा भव्यतापूर्ण ध्वजा फहराई गई है। इसी प्रकार अंबाजी मंदिर, उनाई माता, देवमोगरा माताजी के मंदिरों के विकास के लिए भी निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने रोज़गार वृद्धि में पर्यटन क्षेत्र की भूमिका को निर्णायक बताते हुए कहा कि पंचमहाल ज़िला पर्यटन की दृष्टि से अति विख्यात है। चाँपानेर-पावागढ प्राचीन स्थापत्य-कला के लिए विख्यात हैं। जांबूघोडा में वन्यजीव, हाथणी माता का प्रपात, धनपुरी में इको-टूरिज़्म साइट्स, कडा डैम, धनेश्वरी माता मंदिर, झंड हनुमानजी मंदिर पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। आने वाले दिनों में इन स्थलों को पर्यटन सर्टिक के रूप में विकसित किया जाएगा और इससे रोज़गार के नए अवसर सृजित होंगे। आदिवासियों के लिए गौरवशाली स्थलों तथा आस्था के स्थलों का विकास पर्यटन को काफ़ी प्रोत्साहन देगा।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दिशा-दर्शन में गुजरात सहित समग्र देश में स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासियों के योगदान का इतिहास देश के समक्ष उजागर हो रहा है। पटेल ने कहा कि 1868 में जांबूघोडा के जोरिया परमेश्वर तथा रूपसिंह नायक सहित पाँच आदिवासी वीरों ने स्वतंत्रता आंदोलन में अंग्रेज़ों के विरुद्ध लड़ते हुए बलिदान दिया था। 144 वर्षों के बाद वर्ष 2012 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी ने इन वीर नायकों के इतिहास को देश के समक्ष उजागर करते हुए ‘जो कहना, वह करना’ के मंत्र को साकार किया है। उन्होंने कहा कि मोदी ने वडेफ तथा दांडियापुरा के प्राथमिक विद्यालयों को वीर शहीदो के नाम के साथ जोड़ा। इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री ने मानगढ़ के क्रांतिवीरों की राष्ट्र वंदना कर आदिवासी अस्मिता को पुन:स्थापित करने का यज्ञ भी शुरू किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में अंबाजी से उमरगाम तक के आदिजाति क्षेत् में बुनियादी व ढाँचागत सुविधाओं के लिए एक लाख करोड़ रुपए के ख़र्च से वनबंधु विकास योजना लागू की गई है। इसके कारण आदिवासियों के जीवन में सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक परिवर्तन आने से वे समाज की मुख्य धारा में जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी युवक-युवतियों को स्थानीय स्तर पर उच्च व गुणवत्तायुक्त शिक्षा दिलाने के लिए गोधरा एवं राजपीपळा में आदिवासी यूनिवर्सिटियाँ शुरू की गई हैं। आदिवासी क्षेत्रों में मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, एकलव्य मेडिकल स्कूल, आधुनिक प्रशिक्षण केन्द्र सहित छात्रालय शुरू किए गए हैं। इसके फलस्वरूप आदिवासी युवा डॉक्टर तथा इंजीनियर बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज़ादी के अमृतकाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमारी भव्य विरासतों पर गर्व करने का संकल्प किया है, जिसे गुजरात पूर्ण करेगा। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने मोरबी में दो दिन पहले हुई दुर्घटना में अपनी जान गँवाने वालों के प्रति संवेदना व्यक्त की और कहा कि इस घटना को लेकर प्रधानमंत्री ने सदा-सर्वदना संवेदना के साथ राहत-पचाव कार्य में मार्गदर्शन प्रदान किया है।