नई दिल्ली । राजीव गांधी हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट के दोषियों को रिहा करने के फैसले पर केंद्र की ओर से पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है। बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने राजीव हत्याकांड के छह दोषियों को उनकी सजा में छूट देकर रिहा करने का निर्देश दिया था। याचिका में कहा गया है कि पूर्व पीएम की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट को केंद्र सरकार को भी सुनना चाहिए था।
केंद्र ने पुनर्विचार याचिका में कहा है कि देश के पूर्व प्रधान मंत्री की हत्या करने वाले दोषियों की सजा में छूट देने का आदेश भारत सरकार को सुनवाई का पर्याप्त अवसर प्रदान किए बिना पारित किया गया। दोषियों ने केंद्र सरकार को याचिका में पक्षकार नहीं बनाया। याचिकाकर्ताओं की ओर से इस प्रक्रियात्मक चूक के परिणामस्वरूप मामले की सुनवाई में भारत सरकार की गैर-भागीदारी रही। इससे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का घोर उल्लंघन हुआ है जिससे न्याय का पतन हुआ है। जिन छह दोषियों को छूट दी गई है, उनमें से चार श्रीलंकाई नागरिक हैं। देश के पूर्व प्रधान मंत्री की हत्या के जघन्य अपराध के लिए देश के कानून के अनुसार विधिवत दोषी ठहराए गए दूसरे देश के आतंकवादी को छूट देना, एक ऐसा मामला है जिसका अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव होगा और इसलिए यह पूरी तरह से भारत सरकार की संप्रभु शक्तियों के अंतर्गत आता है। ऐसे संवेदनशील मामले में भारत सरकार की भागीदारी सर्वोपरि थी क्योंकि इस मामले का देश की सार्वजनिक व्यवस्था, शांति व्यवस्था और आपराधिक न्याय प्रणाली पर भारी प्रभाव पड़ता है।
ज्ञात रहे कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के छह दोषियों को 31 साल की जेल की सजा के बाद सुप्रीम कोर्ट ने रिहा कर दिया है। तीन आरोपियों, नलिनी श्रीहरन, उसके पति मुरुगन और संथन को शनिवार शाम को वेल्लोर जेल से औपचारिकताएं पूरी करने के बाद रिहा कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने मई में सातवें दोषी पेरारिवलन को रिहा करने के लिए अपनी अधिकारों का इस्तेमाल किया था।अदालत ने कहा था कि बाकी दोषियों पर भी यही आदेश लागू होता है। अदालत ने यह भी कहा कि तमिलनाडु कैबिनेट ने 2018 में राज्यपाल से दोषियों को रिहा करने की सिफारिश की थी और राज्यपाल इसके लिए बाध्य थे।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 1991 में की गई हत्या के लिए नलिनी के अलावा श्रीहरन, संथन, मुरुगन, रॉबर्ट पायस और आरपी रविचंद्रन जेल में बंद थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दोषियों ने ‘संतोषजनक व्यवहार’ किया, डिग्री हासिल की, किताबें लिखीं और समाज सेवा में भी भाग लिया।