“सर कॉलेज में पढ़ाई करो न करो स्टेटस मेंटेन करना पड़ता है। जिंदगी जब एक बार मिली है तब उसे किश्तों में जीने का क्या मतलब? इक्कीस वर्षीय लड़की जिसके बाल बिखरे हुए थे। मॉडर्न होने के नाम पर टॉर्न जिंस और एक हल्की सी टीशर्ट जिस पर लिखा था- ‘आई डोंट केयर व्हाट डू यू थिंक’ पहनी हुई थी।
पुलिस वाले ने फिर से सवाल दोहराया – ‘तुम तो पढ़ी लिखी हो। सामने वाले ने जब किडनी के बदले सात करोड़ देने की बात कही तो तुम्हें दाल में कुछ काला नहीं लगा?’
‘अब क्या बताऊं सर। डैड मेरी सेविंग के लिए जब तब रुपए जमा कर रहे थे। काश वह कभी कॉलेज जाते तो पता चलता कि कॉलेज में कितने खर्चे होते हैं। फिल्म, शॉपिंग, किटी पार्टी, सैर सपाटा और न जाने क्या-क्या उफ्फ….। मैंने अकाउंट से अस्सी हजार खर्च कर दिए थे। एक दिन पिताजी ने हिसाब पूछ लिया। मैं घबरा गई। इतना बड़ा अमाउंट लाऊं तो लाऊं कहां से। मुझे पैसों की सख्त जरूरत थी। तभी मुझे समाचार पत्र में किडनी वाला विज्ञापन दिखा। मुझे नहीं पता किडनी की क्या कीमत होती है। जब सामने वाले ने सात करोड़ का ऑफर दिया तो समझी कि होंगे सात करोड़।‘
‘क्या तुम्हें एक बार के लिए भी नहीं लगा कि इतना बड़ा कदम उठाने से पहले एक बार अकाउंट चेक कर लेना चाहिए? सवाल तुम्हारी किडनी के साथ-साथ तुम्हारी जिंदगी का भी तो था।‘
‘ऐसा नहीं है सर। वे बड़े पढ़े-लिखे लोग थे। सूट-बूट पहने हुए। चेहरे से उनकी ईमानदारी साफ झलक रही थी। ऑपरेशन थिएटर में जाने से पहले उन्होंने मुझे साढ़े तीन करोड़ रुपए अकाउंट में जमा होने की बात भी कही। मुझे लगा कि वह सच बोल रहे हैं। इतना तो यकीन करना ही चाहिए। मुझे क्या पता था कि वह मुझसे झूठ बोल रहे थे।
‘तो अब तुम क्या चाहती हो?’
‘मैंने जब किडनी के बदले तय राशि की मांग की तो उन्होंने कहा कि राशि बड़ी है इसलिए सबसे पहले तुम्हें टैक्स के रूप में सोलह लाख रुपए देने होंगे। मुझे लगा कि उनकी बात तो सही है। जब राशि बड़ी है तो टैक्स लगेगा ही। सो मैंने उन्हें जैसे-तैसे जुटाकर सोलह लाख रुपए दे दिए। इतना होने पर भी राशि न मिलने पर मैंने उन्हें दोबारा फोन लगाय। इस बार उन्होंने कहा कि आपका अमाउंट दिल्ली में तैयार है आप तुरंत आकर ले जाएं। मैंने फ्लाइट पकड़ी और सीधे यहां पहुंच गई। उनके बताए पते पर पहुंची। लेकिन वहां पर कोई नहीं था। जब दोबारा फोन लगाने की कोशिश कि तो उन्होंने फोन स्विच ऑफ कर दिया था। मैं आप लोगों के हाथ जोड़ती हूँ। पैर पड़ती हूँ। सात करोड़ भूल जाइए। कम से कम मेरे द्वारा उल्टे खर्च किए गए सोलह लाख रुपए और जो फ्लाइट का अलग से खर्चा हुआ उतनी भर राशि मुझे दिला दें तो मैं आपकी ऋणी रहूंगी।‘ – किडनी निकाल लेने के बाद जिस जगह पर टांके लगे थे, उन टांकों को सहलाते हुए अपनी पीड़ा व्यक्त की।
पुलिस इस पढ़ी-लिखी मूर्ख लड़की पर मन ही मन हंसने लगी और उसे झूठा दिलासा देकर घर भेज दिया।
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