नहले पे दहला    

लालबत्ती वाली गाड़ी में सवार मंत्री जी अपने कुनबे के साथ कहीं झंडा फहराने जा रहे थे। उन्होंने देखा कि चारों तरफ झंडोत्सव की धूम है। हर गली-चौराहा राष्ट्रीयता के रंग में रंगा हुआ है। मंत्री जी को लगा इस बार देशभक्ति अपने जोश-खरोश में है। उनकी बाँछें भी खिली हुई हैं। अचानक से उनके मन में क्या आया पता नहीं, उन्होंने ड्राइवर से कहा अगले सिग्नल पर गाड़ी रोक देना। ड्राइवर समझ नहीं पा रहा था कि मंत्री जी ऐसा क्यों कह रहे हैं। चूँकि नौकर का काम मालिक का हुक्म मानना होता है, इसलिए उनके कहे अनुसार गाड़ी सिग्नल के पास रोक दी।

मंत्री जी ने सिग्नल के इधर-उधर देखा तो एक गरीब लड़का दिखाई दिया जो तिरंगा झंडा बेच रहा था। मंत्री जी ने उसे पास बुलाया और पूछा – यह तुम अलग-अलग दिनों में अलग-अलग चीज़ें जैसे स्वतंत्रता दिवस के समय झंडा, दीपावली के समय लाइट, किसी समय खिलौने, कभी पतंग, कभी वाइपर, कभी पोंछने वाला कपड़ा तो कभी सेलफोन कवर, कभी कॉपी-कलम बेचते हो। मैंने देखा है कि अमूमन तुम लोग सभी चीज़ें बेचते हो। क्या ऐसी भी कोई चीज़ है जो तुम लोग नहीं बेचते?

लड़के ने ऐसा जवाब दिया कि मंत्री एक सेकंड के लिए भी रुकना चुल्लू भर पानी में डूब मरने के बराबर समझने लगे। जानते हैं लड़के ने क्या जवाब दिया – मैं सिर्फ देश नहीं बेचता।