साइकल चलाना मेरे लिये थेरैपी है

‘दूसरी माँ‘ में मनोज बने मोहित “ार्मा ने साइक्लिंग के लिये अपने प्यार के बारे में बात करते हुए कहा, ‘‘मैं स्कूल के दिनों में अपने दोस्तों के साथ साइक्लिंग का मजा लेता था। गलियों में साइकल दौड़ाते हुए हमारा अच्छा वक्त बीतता था। हालांकि समय गुजरने के साथ हम सभी ने बाइक और कार चलाना “ाुरू कर दिया। लेकिन लॉकडाउन के बाद मैंने एक साइकल खरीदकर अपने बचपन की यादों को दोबारा जीने का फैसला किया। वह मेरे सबसे समझदार फैसलों में से एक था। उस समय मुझे अपनी साइकल चलाने और जयपुर की खाली गलियों, पुराने मंदिरों, स्मारकों को खोजने का वक्त मिला और मैंने आस-पड़ोस के सारे इंफ्रास्ट्रक्चर का मजा लिया। कार में बैठकर मैं इन खूबसूरत नजारों को देखने से चूक सकता था। मैं गूगल मैप से अपने नजदीक के तालाबों और प्राकृतिक जगहों को खोजता था और साइकल से वहाँ पहुँच जाता था।