माघ शुक्ल पंचमी, आई सुहावन ऋतु वसंत,
उत्तरायण भास्कर की सुनहरी किरण,
झूठे बैर खाने प्रभु पहुँचे, दंडकारण्य |
बागेश्वरी ने छेड़ी सरगम, सृष्टि को मिली ध्वनि तरंग,
जीवंत हुए गीत, काव्य और छंद, स्वागत है, ऋतुराज वसंत ||
सृष्टि में छाई, तरुणाई की उमंग,
गुनगुनाने लगे, प्रणय गीत,
मधुकर और चित्रपतंग,
नव पल्लवों से बिखरे, हवा के लाल रंग,
पीली सरसों हँसकर बोली, स्वागत है, ऋतुराज वसंत ||
अंबुआ फूला, महुआ फूला, कानन में फैली मादक सुगंध,
कनक बलिया इठलाई, अरहर के संग,
कचनार कली मुस्काई देख टेसू के रंग,
गर्वित अवनि ने कहा, स्वागत है ऋतुराज वसंत ||
लोहड़ी, पोंगल, शिवरात्रि अरु धूलिवंदन,
उत्सवों का बिखरा चहुँ ओर आनंद,
पीले पकवानों की छलकी, मनभावन सुगंध,
वसंती हुआ परिवेश पदार्पण इससे स्वागत है, ऋतुराज वसंत ||
नीता श्रीवास्तव
गोदरेज गार्डन सिटी, अहमदाबाद