कमाने-खाने वाले मेहनतकशों को ना ठिठुरती ठंड रोक पाती है ना कोहरा और ना ही लंबी दूरियां …!

छाया – ऋतुराज बुड़ावनवाला, खाचरौद (उज्जैन)