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सूरज –
सलाख़ों में है इन दिनों ।
अंधियारा –
हदें लांघ रहा है ।
सूरज –
रातों में बांध रहा है ।
पहरे –
सूराखों में हैं इन दिनों ।
तारे –
मुट्ठियों में भींच रहे हैं ।
दीवार –
जुगनुओं को खींच रहे हैं ।
माचिसें –
पटाखों में हैं इन दिनों ।
रातों में –
महल चौंधिया रहे हैं ।
तमस –
झोपड़ियों से बतिया रहे हैं ।
भिनसार –
ताखों में हैं इन दिनों ।
फूल –
कंटकों से घिरे हुए हैं ।
दिन –
अंधेरों से डरे हुए हैं ।
निबौलियां –
दाखों में हैं इन दिनों ।
+ अशोक आनन +
मक्सी