पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट पर छाए संकट के बादल
भोपाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट पालपुर कूनो में चीतों के पुनर्वास की सफलता पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इसकी मुख्य वजह वन महानिदेशक एवं एनटीसीए राज्य के सीनियर अफसरों के बीच अहम् की लड़ाई। इसके संकेत अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया का वह पत्र है, जिसमें उन्होंने साफ तौर लिखा है कि चीता अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट है और इसका क्रियान्वयन राज्य सरकार कर रही है। लिहाजा चीता प्रोजेक्ट से जुड़े हर कदम और निर्णय एमपी के अफसरों की सहभागिता भी हो। यानि राज्य के सुझावों पर वन महानिदेशक और एनटीसीए ने गंभीरता से कदम उठाया होता तो कुछ चीतों को असमय मौत से बचाया जा सकता था। गंभीर जनक पहलू यह है कि 4 महीने में 8 चीतों की मौत के बाद एनटीसीए के दबाव में राज्य सरकार ने उस अफसर को प्रोजेक्ट से जुदा कर दिया, जो एनटीसीए और स्टेयरिंग कमेटी की बैठकों में टोका-टाकी किया करता था।
इसकी शुरुआत अप्रैल 23 को हुई। प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी कार्यालय की ओर से एक पत्र वन महानिदेशक सीपी गोयल और एनटीसीए के सदस्य सचिव एसपी यादव को ईमेल के जरिए एक पत्र लिखा गया। इस पत्र में उल्लेख किया गया कि कूनो में छोड़े गए सभी चीतों में से कुछ चीते को दूसरी जगह ले जाने चाहिए। पत्र में यह मार्गदर्शन मांगा गया कि एक्शन प्लान में बताए गए स्थानों में से एक जगह बता दीजिए जहां पर इन्हें शिफ्ट किया जा सके। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया था कि मानसून यह समस्या और बढ़ जाएगी। बारिश में हमारी मोबालिटी भी बंद हो जाएगी। इसके कारण चीता की निगरानी के लिए पीछा करना मुश्किल हो जाएगा। इसी पत्र में यह भी कहा गया था कि अभी चीता को बाड़े से बाहर छोड़ा जाना उचित नहीं होगा। ई-मेल के जरिए भेजे गए पत्र पर एनटीसीए के सदस्य सचिव ने आज तक कोई निर्णय नहीं लिया। 5 अप्रैल से पहले लिखे इस पत्र पर एनटीसीए के सदस्य सचिव यादव 2 मई तक नहीं पढ़ पाए थे। यही नहीं, जब 2 मई को दिल्ली में एक बैठक में उनका और पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ जेएस चौहान के बीच आमना-सामना हुआ तब एनटीसीए के सदस्यों ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि मुझे पत्र मिला ही नहीं। यहीं से एनटीसीए और पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ के बीच टकराव की शुरुआत हुई।
- चीता टास्क फोर्स भंग कर स्टेयरिंग कमेटी बनाया जाना
राज्य और केंद्र के अफसरों के बीच शुरू हुई अहम की लड़ाई 31 मई को परवान चढ़ने लगी। एनटीसीए ने चीता टास्क फोर्स भंग कर पूर्व पीसीसीएफ राजेश गोपाल की अध्यक्षता में एक स्टीयरिंग कमेटी गठित की गई। इस समिति में ऐसे लोगों को शामिल किया गया, जिन्हें वाइल्डलाइफ का अनुभव भी नहीं है। कमेटी के अध्यक्ष राजेश गोपाल टाइगर के एक्सपर्ट तो है किंतु चीता और उसके प्रबंधन के मामले में अनभिज्ञ हैं। कमेटी ने 31 मई को एक बैठक बुलाई, जिसमें टास्क फोर्स में शामिल अमित मलिक, कमर कुरैशी, जेएस चौहान और पीआर सिन्हा शामिल नहीं थे। बैठक में स्टेयरिंग कमेटी के अध्यक्ष राजेश गोपाल ने चीता को बाड़े से बाहर छोड़ने का निर्णय लिया। यह निर्णय ही चीता के लिए कॉल बन गया। यही वजह रही कि 4 महीने में 8 चीता की मौत हो गई। - डीओ लिखना चौहान को महंगा पड़ा
14 जुलाई को चीता सूरज की मौत होती है। 15 जुलाई को पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ ने एनटीसीए के सदस्य सचिव को एक डीओ पत्र लिखा। पत्र में लिखा गया कि दक्षिण अफ्रीका के एक्सपर्ट और चिकित्सकों को बुलाकर बाहर घूम रहे सभी चीता को बाड़े में रखना होंगे। सूत्रों का कहना है कि इस पत्र में दिए गए सुझाव को लेकर स्टेयरिंग कमेटी के अध्यक्ष राजेश गोपाल, वन महानिदेशक सीपी गोयल और एनटीसीए के सदस्य सचिव यादव लाल-पीले होने लगे। तीनों केंद्रीय अफसरों ने पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ जेएस चौहान को हटाने के लिए राज्य सरकार पर दबाव बनाया। 17 जुलाई को उन्हें हटाने के आदेश भी जारी हो गए। दिलचस्प पहलू यह है कि अंततः चौहान के सुझाव पर ही स्टीयरिंग कमेटी को बाड़े से बाहर विचरण कर रहे हैं चीता को क्लोजर में लाना पड़ा है। - प्रदेश के अफसरों को चीता प्रोजेक्ट से दूर रखा गया
अंतरराष्ट्रीय चीता प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन मप्र के कुनो नेशनल पार्क में हो रहा है। मगर एमओयू से लेकर कूनो तक लाने के सफर में राज्य के आईएफएस अफसरों को दूर रखा गया। जब नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से एमओयू प्रदेश का कोई भी आईएफएस अधिकारी वहां नहीं था। जब ऑफिसियल डेलिगेशन नामीबिया अथवा दक्षिण अफ्रीका गया था तब भी स्टेट का कोई भी अधिकारी उस प्रतिनिधिमंडल में शामिल नहीं था।ऐसा क्यों किया गया शोध का विषय है? - 5 दिन से लापता है फीमेल चीता निरवा
कूनो से फीमेल चीता निरवा लापता है। पार्क प्रबंधन के अवसर यह दावा कर रहे हैं कि उसके पग मार्ग दिखाई दिए हैं। चीता निरवा का कॉलर आईडी तो पहले ही खराब हो गया था और अब सेटेलाइट सिस्टम भी फेल हो गया है। पिछले 3 दिनों से उसका सुराग नहीं मिल रहा है। बताया जाता है कि लापता फीमेल चीता को तेंदुए के हमले की आशंका बढ़ गई है। जिस इलाके से वह गायब हुई है, बताते हैं वहां बड़ी संख्या में तेंदुआ विचरण कर रहे हैं।
-एक अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कूनो नेशनल पार्क में 8 चीतों की मौत पर चिंता जताया है। शीर्ष अदालत ने सरकार को इन चीतों को किसी अन्य अभयारण्य में शिफ्ट करने को भी कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 1 अगस्त को होगी। चीता की मौत पर जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने 21 जुलाई को सुनवाई करते हुए टिप्पणी की थी कि इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा क्यों बना रहे हैं? सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी सवाल किया कि सभी चीते मप्र में ही क्यों? इस मुद्दे पर एक अगस्त को फिर सुनवाई है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा है कि उन्हें राजस्थान या महाराष्ट्र में शिफ्ट क्यों नहीं कर सकते?