(राम द्वारा सीता को समझना)
बनवाँ में बड़ा दुख होई,
सिया मोर घरहीं में रहिजा हो ।
सास ससुर के सेवा तु करिहा,
जनम सफल होइ जाई ।
सिया मोर घरहीं में रहिजा हो ।
बनवाँ में बड़ा दुख होई………
बनवाँ भयानक देखत डर लागै,
पैरों में काँटा चुभ जाई ।
सिया मोर घरहीं में रहिजा हो ।
बनवाँ में बड़ा दुख होई………
बाघ सिंह भालू सब बनवाँ में घूमैं,
निशिचर घुमेलें हरजाई ।
सिया मोर घरहीं में रहिजा हो ।
बनवाँ में बड़ा दुख होई………
जाड़ा और गर्मी बरसात भयानक,
पर्वत के जल लग जाई ।
सिया मोर घरहीं में रहिजा हो ।
बनवाँ में बड़ा दुख होई………
कन्द मूल फलवा हीं मिलिहैं भोजनवाँ,
उहो कबो मिली कबो नाईं ।
सिया मोर घरहीं में रहिजा हो ।
बनवाँ में बड़ा दुख होई………
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
आरा, भोजपुर, बिहार
मो.नं. 8210058213