अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी पूरी, सजी-संवरी अयोध्या में आस्था चरम पर

अयोध्या । अयोध्या में अब भावनायें हिलोरे मार रहीं हैं। आस्था चरम पर है। हर किसी को सोमवार के दिन की प्रतीक्षा है। अब भव्य रुप धर चुकी अयोध्या में नवनिर्मित मंदिर तो सजधज कर तैयार है ही समूची अयोध्या भी 2500 कुंटल फूलों से सज संवर चुकी है। उधर, प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। मेहमानों का आना शुरू हो चुका है और एक ऐतिहासिक अवसर के लिए मंच सज चुका है। इस अवसर पर राम मंदिर की अद्भुत छवि निहारते ही बन रही है। हर रामभक्त इस मौके को अपने जेहन में उतारने के लिए तैयार है।
सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान पूरा करेंगे। इसके बाद 23 जनवरी से आम जनता भी भव्य मंदिर में भगवान श्रीराम का दर्शन कर सकेगी। मंदिर के गर्भगृह में रामलला विराजमान हो चुके हैं। इसके साथ ही नई मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान भी जारी है। दुनिया भर में फैले करोड़ो रामभक्तों को इस अवसर का इंतजार था। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का लाइव प्रसारण किया जाएगा। भगवान राम के भव्य मंदिर की नयनाभिराम तस्वीरें हर किसी का मनमोह रही हैं। मंदिर को अंदर से फूलों और लाइटिंग करके सजाया गया है। सरयू घाट से लेकर गली-मुहल्ले और घर-घर रंगोली सजाई जा रही है। रात्रि में पंक्तिबद्ध सजे दीये तारामंडल के तारों की तरह टिमटिमाते हुए नजर रहे हैं। यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि मेरे प्रभु श्रीराम अपने जन्मस्थान पर बने दिव्य दरबार में वर्षों की प्रतीक्षा के बाद विराजित हो होंगे। कल प्राण प्रतिष्ठा का समारोह हो जाने के साथ ही श्रीराम जन्मभूमि से जुड़े पांच सदी पुराने विवाद और संघर्ष कहानी बनकर रह जाएंगे।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह को भव्य बनाने के लिए हर स्तर की तैयारियां चल रही हैं। रात के समय मंदिर की स्वर्णिम आभा अलग ही छटा बिखेर रही है। गर्भगृह से लेकर पूरे राम मंदिर को फूलों और रोशनी से सजाया गया है। राम मंदिर के लोकार्पण और रामलला के नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या को 2500 क्विंटल फूलों से संवारा जा रहा है। गर्भगृह को सजाने के लिए कर्नाटक से फूल मंगाए गए हैं। इसके लिए दिल्ली व कोलकाता के साथ थाईलैंड और अर्जेंटीना से मनमोहक विदेशी फूलों की खेप मंगाई गई है। राम मंदिर के रास्ते रंग-बिरंगे फूलों से सजाए गए हैं। राम मंदिर का नवनिर्मित भवन और प्रवेश द्वार अलग ही छटा बिखेर रहा है। इसी के साथ राम मंदिर पर हेलीकॉप्टर से गुलाब की पंखुड़ियों की वर्षा शुरू कर दी गई है।
रामलला को टेंट से निकलकर मंदिर में विराजमान करने तक विशेषकर अयोध्या और अयोध्यावासियों ने लंबा संघर्ष देखा है। अयोध्या लंबे समय तक संगीन के साये में रही, पुलिस और सुरक्षाकर्मियों के बूटों की आवाज से ही लोगों के हृदय कांप उठते थे। रामलला को 1949 में गुंबद के भीतर रामलला की मूर्तियां स्थापित करने वाले महाराज अभिराम दास जी से लेकर 6 दिसंबर, 1992 को विवादित ढ़ांचा ढहाये जाने तक इस आन्दोलन ने कई उतार चढ़ाव देखे। विध्वंस के बाद रामलला गुंबद के नीचे नहीं, टेंट-तिरपाल में पूजे जाने लगे थे। 28 साल रामलला तिरपाल में रहे। वह भी समय था जब बारिश में तिरपाल फट जाता था और फटे तिरपाल को बदलवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से इजाजत लेनी पड़ती थी। पानी भीतर घुस आता था और रामलला के कपड़े भीग जाते थे। लेकिन अब यह सब बातें इतिहास में दर्ज हो गयी हैं और कल एक नया इतिहास लिखा जायेगा।