कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने संघ और भाजपा पर साधा निशाना

वह भाजपा में कभी नहीं होंगे चाहे उन्हें राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री बनाने का लालच ही क्यों न दिया जाए
नई दिल्ली । कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया एक बैठक में शामिल होने मैसूर पहुंचे। यहां बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वह भाजपा में कभी भी शामिल नहीं होंगे, चाहे इसके लिए उन्हें पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री पद का लालच ही क्यों दिया जाए। इसके साथ सिद्धारमैया ने लोकसभा उम्मीदवार एम. लक्षमण भारी मतो से विजयी बनाने की अपील की।
कर्नाटक के मैसूर में कांग्रेस कार्यालय में आयोजित एससी-एसटी कार्यकर्ताओं और नेताओं की बैठक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि वह भाजपा में किसी भी कीमत पर शामिल नहीं होंगे, चाहे उन्हें पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री पद की पेशकश ही क्यों न की जाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने दलितों की जनसंख्या के अनुसार बजट में धन आवंटित करने का कानून पास किया था। हमारी सरकार ने कानून बनाया कि विकास नीति का 24.1 प्रतिशत अलग रखा जाए। यह कानून भाजपा द्वारा पारित ही नहीं किया गया।
सिद्धारमैया ने भाजपा और संघ पर निशाना साधते हुए कहा राजनीतिक शक्ति तभी आती है, जब आपके पास वैचारिक स्पष्टता हो। लोगों को भाजपा-आरएसएस के झांसे में नहीं आना चाहिए। शूद्र-दलित और महिलाओं को आरएसएस समान अवसर नहीं देता है। उन्होंने आगे कहा कि देवगौड़ा, जिन्होंने कहा था कि अगर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे तो वह देश छोड़ देंगे, लेकिन अब आज वही कह रहे हैं कि उनका पीएम मोदी के साथ गहरे रिश्ते हैं। भाजपा और आरएसएस सामाजिक न्याय के खिलाफ हैं। वे आरक्षण को पसंद नहीं करते। आरक्षण कोई भीख नहीं है, यह उत्पीड़ित समुदायों का अधिकार है। उन्होंने कहा कि जब तक समाज में जाति व्यवस्था मौजूद है, तब तक आरक्षण रहना चाहिए। आजादी और ब्रिटिश काल से पहले क्या शूद्रों को शिक्षा का अधिकार था? महिलाओं के पास कोई अधिकार थे? अपने पति की मृत्यु के बाद महिलाएं सती हो जाती थी। सीएम सिद्धारमैया ने लोगों से इस बात को समझने की अपील की है। मनुस्मृति से प्रभावित ऐसी कुप्रथाओं को भारतीय संविधान में प्रतिबंधित किया गया। लेकिन अब वे मनुस्मृति को वापस लाना चाहते हैं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता नानजे गौड़ा और गुलिहट्टी शेखर ने कहा था कि उन्हें संघ में विशेष तबज्जो नहीं दी जाती है। यहां केवल शूद्रों का इस्तेमाल किया जाता है। महिलाओं, शूद्रों और दलितों को संघ में शामिल होने का अधिकार नहीं है। सिद्धारमैया ने पूछा, क्या हमें जेडीएस की आलोचना नहीं करनी चाहिए, जिन्होंने संघ के साथ हाथ मिला लिया? उन्होंने कहा कि वह हमारी सरकार थी जिन्होंने कॉन्ट्रैक्ट में दलितों के लिए आरक्षण पास किया था। क्या यह वही भाजपा नहीं है जिन्होंने मंडल कमीशन और दलितों के लिए आरक्षण का विरोध किया था। इसी के साथ सिद्धारमैया ने बैठक में कांग्रेस उम्मीदवार एम. लक्ष्मण को जिताने की अपील भी की।