इन्दौर । अहिल्या स्मारक के प्रोजेक्ट में ठोस कंटेंट का उपयोग किया जाना चाहिए। जो भी अहिल्याबाई की उपलब्धियां हैं, उन पर ज्यादा फोकस होना चाहिए।
यह बात इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स के मेंबर सेक्रेटरी सच्चिदानंद जोशी ने अहिल्या स्मारक के लिए आवंटित जमीन का अवलोकन करने के बाद वैष्णव परिसर, राजमोहल्ला में बुलाई गई बैठक को संबोधित करते हुए कही। अहिल्या स्मारक ट्रस्ट की अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के आग्रह पर जोशी अपने सहयोगी डॉक्टर अचल पांडिया के साथ इन्दौर आए थे। ताई ने उनसे महत्वपूर्ण सुझाव देने के लिए आमंत्रित किया था। इस अवसर पर सांसद शंकर लालवानी, ट्रस्टी पुरूषोत्तम पसारी, अशोक डागा, मिलिंद महाजन, सुधीर देड़गे भी उपस्थित थे। जोशी ने कहा कि डिजिटल होना उतना महत्वपूर्ण नहीं है, क्योंकि टेक्नोलॉजी बदलती रहती है। अहिल्याबाई का विषय भावनात्मक है। किसी वस्तु को छूने व देखने में अंतर होता है। विजिटर को हमेशा नया देखने की उत्सुकता रहती है। हमें देखना चाहिए कि हम क्या नया कर सकते हैं कि जब दर्शक यहां आए तो कुछ नया देखने को मिले। ओरिजिनल ऑब्जेक्ट्स पर काम होना चाहिए। इसके लिए कमेटी बनाना चाहिए जिसमें जीवन भर काम करने वालों की टीम होना चाहिए जो रेलीवेंट ऑब्जेक्ट्स पर काम कर सके। यहां जो बने वह एकमात्र बैनर स्मारक बने।
:: अहिल्याबाई के देश भर में क्या योगदान रहा, उसका मास्टर प्लान बनाना होगा : सुमित्रा महाजन
ट्रस्ट अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि अहिल्याबाई का पूरे देश में कहां क्या योगदान रहा, इसका संपूर्ण मास्टर प्लान बनाना होगा। तभी हम स्मारक को सम्पूर्णता दे पायेंगे। उसके बाद ही यह हो सकेगा कि नए बच्चों को उनके जीवन से प्रेरणा मिले। बच्चे उनका जीवन दर्शन समझ सकें। ट्रस्टी एवं सांसद शंकर लालवानी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
प्रचार प्रभारी राम मूंदड़ा ने बताया कि ट्रस्ट सचिव अशोक डागा ने स्वागत किया। इंजीनियर हब्लानी ने प्रेजेंटेशन दिया। गिरधरगोपाल नागर, प्रशांत बडवे, राजेश अग्रवाल, दीपेश डागा, प्रांजल भाले आदि भी मौजूद थे।