मुंबई । विस्तारा के पायलटों द्वारा खराब रोस्टरिंग और काम करने की स्थित के बारे में जो चिंता जाहिर की हैं, उन्हें अब टाटा ग्रुप की बाकी एयरलाइंस के उनके सहकर्मियों ने भी दोहराया है। इसके बारे में अब पायलट यूनियनों ने टाटा ग्रुप के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन को लिखा है।
यूनियन के मुताबिक, विस्तारा के पायलटों की मांगे जायज हैं और ये मुद्दे पूरे टाटा ग्रुप की एयरलाइंस में मौजूद हैं। देश में एयरलाइंस के पायलट, जिसमें अब टाटा ग्रुप की एयरलाइंस एयर इंडिया, इंडिगो और आकाश शामिल हैं, लगातार उड़ान भरने, लगभग हमेशा फ्लाइट चलाने के लिए स्टैंडबाय पर रहने, कम सैलरी और पर्याप्त आराम नहीं मिलने की वजह से थकान की शिकायत करते आ रहे हैं।
डीजीसीए (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) ने पायलटों के लिए अधिक मानवीय उड़ान ड्यूटी के नियम लाने की कोशिश की थी, लेकिन इस लागू करने को टाल दिया गया है। किसी भी एयरलाइन ने डीजीसीए द्वारा प्रस्तावित बदलावों को लागू करने की इच्छा नहीं जाहिर की, क्योंकि इससे पायलटों की जरूरत बढ़ जाती और उनकी वेतन लागत में भी इजाफा होता। इंडियन कमर्शियल पायलट्स एसोसिएशन और इंडियन पायलट्स गिल्ड ने टाटा ग्रुप के चेयरमैन को लिखा है कि विस्तारा के पायलट निश्चित 70 घंटे के वेतन, बेहतर काम करने की स्थिति और स्थिर रोस्टर की मांग को लेकर दृढ़ रहे हैं। हमारा पूरा विश्वास है कि उनकी मांगें न सिर्फ वाजिब हैं बल्कि टाटा समूह की एयरलाइंस में व्याप्त व्यापक चुनौतियों को भी दर्शाती हैं।
70 घंटे के निश्चित वेतन, छुट्टियों की मंजूरी, पर्याप्त आराम समय, अस्थिर रोस्टर, पायलटों को ज्यादा से ज्यादा उड़ान ड्यूटी के लिए खींचना, खराब रोस्टर और असहयोगी काम करने के माहौल जैसे मुद्दे टाटा ग्रुप की विभिन्न एयरलाइंस के पायलटों द्वारा लगातार उठाए जा रहे हैं। पायलटों के साथ बंधुआ मजदूरों जैसा व्यवहार किया जा रहा है। इसतरह के कई उदाहरण हैं, जहां एचआर ने पायलटों को गंभीर परिणामों की धमकी दी है।