मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय में संस्थानिक नवाचार पर कार्यक्रम का आयोजन
भोपाल । मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के इनक्यूबेशन सेंटर द्वारा नवाचार और स्टार्टअप को लेकर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का विषय थे My Story- Motivational session by Successful Innovators कार्यक्रम में उपस्थित विद्यार्थियों को प्रेरित करने के लिए मुख्य वक्ता के रूप में श्रीमती अलका शर्मा,संस्थापक, खद्योत नेचुरल प्राइवेट लिमिटेड तथा मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. प्रदीप त्रिपाठी, महासचिव, भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी, मध्य प्रदेश उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय तिवारी द्वारा की गई एवं कार्यक्रम संयोजक के रूप में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. सुशील मंडेरिया उपस्थित रहे।
इस अवसर पर मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के संस्थानिक नवाचार प्रकोष्ठ के संयोजक डॉ. शैलेंद्र सिंह ने विषय प्रवर्तन करते हुए उपस्थित विद्यार्थियों को सरकार के संस्थानिक नवाचार परिषद का परिचय देते हुए उनके उद्देश्य और कार्यप्रणाली से परिचित कराया।
मुख्य वक्ता सुश्री अलका शर्मा ने कहा कि, उनकी कंपनी जैविक और प्राकृतिक खेती का कार्य करती है। उन्होंने महिलाओं के उद्योगपति बनने के सफर में आने वाली कठिनाइयों का भी उल्लेख करते हुए कहा कि, हमने जैविक खेती सीखने के लिए भारत के कई गांव का दौरा किया और इस हेतु हम अफ्रीका, अमेरिका तथा ऑस्ट्रेलिया में जाकर वहां रह कर जैविक खेती सीखी। इस कंपनी की स्थापना में हमने 15 लाख रुपए का निवेश किया, जो आज वर्तमान में 100 करोड़ से ऊपर की कंपनी बन गई है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि, एक उद्यमी का जीवन कठिन होता है। किसी भी व्यापार में सफल होने के लिए आपके पास अच्छी नेटवर्किंग चाहिए होती है। हमें अपने समय की कीमत को समझना चाहिए और हमें शासन के सहयोग पर ज्यादा निर्भर न रहकर अपने खुद से उद्यम स्टार्ट करने चाहिए। उन्होंने कहा कि, हमें अपने कौशल को ऐसे क्षेत्रों में निवेश करना चाहिए, जहां उसका प्रतिफल मिल सके। श्रीमती अलका का कहना है, डिजिटल मार्केटिंग और परफॉर्मेंस मैनेजमेंट आदि ऐसे क्षेत्र हैं, जिनको सीखना हर उद्यमी के लिए बहुत आवश्यक है। उद्यमी के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है, अच्छे मानव संसाधन का मिलना और उससे भी बड़ी चुनौती यह है कि, उस मानव संसाधन को हम अपने साथ जोड़ कर रख सकें और बरकरार रख सके। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि, उद्यमी को हमेशा धैर्य बनाए रखना चाहिए। अपने वक्तव्य के अंत में अलका शर्मा ने विद्यार्थियों के जिज्ञासाओं को भी शांत किया और उनके प्रश्नों के उचित उत्तर दिए।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. प्रदीप त्रिपाठी, महासचिव, भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी, मध्य प्रदेश ने अपने प्रेरणास्पद वक्तव्य में कहा कि, भारत सरकार ने 2016 में स्टार्टअप अभियान चालू किया था। आज भारत में एक लाख से ज्यादा स्टार्टअप है। जो लगभग 12 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार दे चुके हैं। व्यक्ति हमेशा अपनी गलतियों से सीखता है और आगे बढ़ता है। उन्होंने कहा कि, भारत के लोगों ने हमेशा दुनिया को कुछ ना कुछ दिया है। आज भारत के योग को सारी दुनिया बिना पेटेंट के इस्तेमाल कर रही है। डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि, भारत की महिलाएं पूरी दुनिया की सबसे कुशल गृहणियां है। वह जो भोजन पकाती हैं, वह भी हमारे लिए औषधि का काम करता है। हमारे देश में सब कुछ सामंजस्य में है। हमें अपनी जन्मभूमि देश और इतिहास के प्रति सकारात्मक सोच रखना होगा। उन्होंने कहा कि, भारत में कई सारे समाज की बहुत परंपराएं ऐसी हैं जो, दूसरों के लिए हैं। व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का आकलन करना जरूरी है। इसमें हमें स्वयं के प्रति ईमानदार रहकर अपना विश्लेषण करना है। जीवन में आगे बढ़ाना है तो अच्छे लोगों को जोड़ और सफल उद्यमी बने डॉ. त्रिपाठी ने भारत की धार्मिक पूजा पाठ का भी विभिन्न पहलुओं में विश्लेषण करते हुए, उनके वैज्ञानिक आधार को समझाया। भारत में 108 चिकित्सा पद्धतियों का जन्म हुआ है। हमें अपनी परंपराओं को वैज्ञानिक नजरिया से देखने की जरूरत है। डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि, आज भारत के फाइव स्टार, सेवन स्टार होटल विदेशी उत्पादन को छोड़कर भारतीय जैविक उत्पादों का इस्तेमाल करने लगे हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो संजय तिवारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि, नवाचार एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण है। नवाचार के क्षेत्र 2014-15 में भारत की दुनिया में 82 रैंकिंग थी। आज हम प्रगति करते हुए 40वीं रैंक पर आ गए हैं। उन्होंने कहा कि, अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा स्टार्टअप भारत के पास है। डॉ. तिवारी ने बताया कि, असफलता ही सफलता की पहली सीढ़ी है। उन्होंने विद्यार्थियों का आवाहन करते हुए कहा कि, समाज की समस्याओं को हल करने के लिए स्टार्टअप और नवाचार करें। हमें अपनी सोच को बदलना होगा। हमें शिक्षा अपने बच्चों को सिर्फ इसलिए नहीं दिलाना चाहिए कि, वह किसी कंपनी में जाकर नौकरी करें, बल्कि उन्हें कुछ नवाचार करने और उद्यमी बनने के लिए भी प्रेरित करना चाहिए। डॉ. तिवारी ने कहा कि, हमारी संस्थानों में प्लेसमेंट सेल होते हैं। जबकि अमेरिका में करियर सेंटर होते हैं। जिसमें बच्चों को करियर के विभिन्न ऑप्शंस बताया जाता है और उसके लिए उन्हें ट्रेनिंग भी दी जाती है। उन्होंने कहा कि, मेक इन इंडिया के लिए हमें आविष्कार करना होगा। अपना प्रोडक्ट बनाना होगा। हमारी बढ़ती आबादी के लिए उद्यमिता और स्टार्टअप बहुत अच्छा विकल्प है।
मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलसचिव एवं कार्यक्रम के संयोजक डॉ. सुशील मंडेरिया ने आभार प्रदर्शन के पूर्व अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, दूरस्थ शिक्षण का सबसे पहले स्टार्टअप एकलव्य ने शुरू किया था। उन्होंने एक स्टार्टअप का उल्लेख करते हुए कहा कि, किस प्रकार भारत में उगने वाली तोरई को सुखाकर उसका प्रोडक्ट बनाकर आज विदेश में कई डॉलर में बेचा जा रहा है। कार्यक्रम में मंच संचालन मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. साधना सिंह बिसेन के द्वारा किया गया। इस अवसर पर भोज मुक्त विश्वविद्यालय के विद्यार्थी, शिक्षक और कर्मचारी गण सभागार में उपस्थित रहे।