राष्ट्रपति ने अभिभाषण में गिनाया केंद्र सरकार की उपलब्धियां और लक्ष्य,

सेनाओं में सुधार का दावा, अग्निवीर का नाम नहीं; शिक्षा नीति की बात पर विपक्ष के नीट-नीट के नारे, मुर्मू ने जैसे ही बहुमत की सरकार कहा, विपक्ष ने विरोध जताया संविधान बनाम आपातकाल पर रार
नई दिल्ली । संसद सत्र के चौथे दिन गुरूवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लोकसभा और राज्यसभा को संयुक्त रूप से संबोधित किया। उन्होंने एनडीए सरकार के 5 साल का रोडमैप भी बताया। इस दौरान विपक्ष की ओर से विरोध का शोर भी सुनाई दिया। राष्ट्रपति ने कहा कि आने वाले कुछ महीने में भारत गणतंत्र के रूप में 75 साल पूरे करने जा रहा है। देश में संविधान लागू होने के बाद भी कई बार हमले हुए है। आज 27 जून है, 25 जून 1975 को लागू हुआ आपातकाल संविधान पर हमले का सीधा सबूत है। लेकिन देश ने इससे उबरकर दिखाया। दरअसल, कांग्रेस नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन और मोदी सरकार के बीच संविधान बनाम आपातकाल के नैरेटिव की लड़ाई शुरू हो गई है।
2024 के चुनाव में इंडिया गठबंधन ने संविधान को बड़ा मुद्दा बना दिया था, जिसके चलते भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही विपक्ष के इस मुद्दे की काट निकाल ली है। संविधान बचाओ का नारा लगाने वाली कांग्रेस 18वीं लोकसभा के सत्र के पहले दिन से ही फ्रंटफुट पर नजर आ रही थी, लेकिन अब आपातकाल के बहाने मोदी सरकार और भाजपा उसे काउंटर करती हुई नजर आ रही हैं।
आने वाला दौर भारत का
भाषण में राष्ट्रपति ने हर मुद्दे पर बात की। उन्होंने कहा कि पेपर लीक करने वालों को कड़ी सजा दिलाई जाएगी। उन्होंने सेना को आत्मनिर्भर बनाने की तैयारियां भी बताईं। नॉर्थ-ईस्ट में शांति के लिए सरकार के प्रयासों का भी जिक्र किया। राष्ट्रपति ने कहा कि अगले बजट सत्र में बड़े फैसले लिए जाएंगे। उन्होंने आपातकाल को संविधान पर सीधा हमला बताया, यह भी कहा कि देश ने इस हमले से उबरकर दिखाया। उन्होंने महिलाओं, युवाओं, किसानों, गरीबों के बारे में बात की। राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग की तारीफ की, वहीं त्रस्ञ्ज को भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के तीसरे दशक में ग्लोबल ऑर्डर एक नई शक्ल ले रहा है। मेरी सरकार के तहत आज भारत को दुनिया को नया भरोसा दे रहा है। कोरोना, युद्ध जैसे हालात में यह साबित हुआ है। राष्ट्रपति बोलीं कि इस संकल्प की सिद्धि में अवरोध न हो ये हम सभी का दायित्व और कर्तव्य है। जब संसद सुचारू चलती है, स्वस्थ्य चर्चा होती है। लोगों का विश्वास पूरी व्यवस्था पर बढ़ता है। जब भारत विकसित राष्ट्र बनेगा तो इसमें आपकी भी सहभागिता होगी। आने वाला दौर भारत का है, सदी भारत की है, इसका असर हजार साल तक रहेगा। आप सभी जानते हैं आज का समय पूरी तरह से भारत के लिए अनुकूल है। आज क्या नीतियां, निर्णय बनते हैं, इस पर पूरी दुनिया की नजर है। पिछले दस साल में जो हुआ, उससे हम विकसित भारत बनाने के लिए नई गति प्राप्त कर चुके हैं।
संविधान बनाम आपातकाल की लड़ाई
संविधान के मुद्दे को विपक्ष हर हाल में बनाए रखना चाहता है, जिसके चलते ही इंडिया गठबंधन के लोकसभा सांसद संविधान की कॉपी अपने साथ लेकर संसद भवन पहुंचे और साथ ही शपथ ग्रहण के दौरान भी अपने साथ संविधान की कॉपी लिए हुए थे। सोमवार को सांसद के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शपथ ले रहे थे, उसी समय इंडिया गठबंधन के सांसद हाथों में संविधान की प्रति लहराते हुए कह रहे थे कि वे संविधान की रक्षा किसी भी कीमत पर करेंगे। संविधान बचाओ का नारा लगाने वाली कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को मोदी सरकार और बीजेपी ने आपातकाल के मुद्दे को उठाकर बैकफुट पर लाने का दांव चला है।
पहले दिन पीएम ने आपातकाल के बहाने साधा निशाना
पीएम मोदी ने मंगलवार को 49 साल पहले लगाए गए आपातकाल के लिए कांग्रेस पर हमला किया। उन्होंने कहा कि जिस मानसिकता के कारण आपातकाल लगाया गया था वह ‘उसी पार्टी में बहुत ज़्यादा मौजूद है।’ पीएम मोदी ने कहा था कि कांग्रेस को संविधान के प्रति प्रेम का दावा करने का कोई अधिकार नहीं है।आपातकाल के काले दिन हमें याद दिलाते हैं कि कैसे कांग्रेस पार्टी ने बुनियादी अधिकारी को नष्ट किया और भारत के संविधान को रौंदा, जिसका हर भारतीय बहुत सम्मान करता है।
दूसरे दिन आपातकाल पर स्पीकर का निंदा प्रस्ताव
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन में आपातकाल लगाए जाने के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि ये सदन साल 1975 में देश में आपातकाल लगाने के निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा करता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम, उन सभी लोगों की संकल्पशक्ति की सराहना करते हैं, जिन्होंने इमरजेंसी का पुरजोर विरोध किया, अभूतपूर्व संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया।
राष्ट्रपति के अभिभाषण में आपातकाल का जिक्र
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली नवनिर्वाचित सरकार की प्राथमिकताओं को सामने रखते हुए, अपने संबोधन में आपातकाल पर करारा हमला बोला। उन्होंने कहा कि आने वाले कुछ महीनों में भारत एक गणतंत्र के रूप में 75 वर्ष पूरे करने जा रहा है। भारतीय संविधान बीते दशकों में हर चुनौती और कसौटी पर खरा उतरा है। देश में संविधान लागू होने के बाद भी संविधान पर कई हमले हुए हैं 25 जून 1975 को लागू किया गया आपातकाल संविधान पर सीधा हमला था। जब इसे लगाया गया तो पूरे देश में हाहाकार मच गया था, लेकिन देश ने ऐसी संवैधानिक ताकतों पर विजय प्राप्त की है।
आपातकाल संविधान पर सीधा हमला
राष्ट्रपति ने कहा कि मेरी सरकार भी भारतीय संविधान को सिर्फ शासन का माध्यम नहीं बना सकती। हम अपने संविधान को जनचेतना का हिस्सा बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इसी के साथ मेरी सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाना शुरू किया है। राष्ट्रपति ने कहा कि आपातकाल संविधान पर सीधे सबसे बड़ा हमले था और काला अध्याय था।आपातकाल के दौरान पूरा देश अंधेरे में डूब गया था, लेकिन देश ऐसी असंवैधानिक शक्तियों को पराजित करने में पूरी तरह से सफल रहा। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने के हर प्रयास की सभी को निंदा करनी चाहिए।
कांग्रेस के संविधान का काउंटर प्लान
संविधान पर हमले और संविधान को कमजोर करने के आरोपों और हमलों को झेल रही बीजेपी ने बेहद सुनियोजित ढंग से इन आरोपों पर का जवाब देने का फैसला किया। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने मीडिया से कहा था कि संविधान बचाने की बात करने वालों और उसकी प्रति हाथ में रखने वालों को आईना दिखाना जरूरी है। ये वही लोग हैं, जिन्होंने संविधान को मिटाने की कोशिश की थी। जेडीयू नेता और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि आपातकाल लगाकर संविधान को टुकड़े-टुकड़े करने वाली पार्टी को संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के बारे में बात करने का अधिकार नहीं है।