इन्दौर | छः साल पुराने शासकीय कार्य में बाधा डालने के एक मामले के बाद पीड़ित द्वारा कोर्ट में दर्ज याचिका पर सुनवाई करते तत्कालीन एसडीएम आइएएस रजनी सिंह, तहसीलदार मोनिका बाघमारे और कम्प्यूटर आपरेटर जितेंद्र रैकवार के विरुद्ध न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने पर कोर्ट ने एक हजार रुपये का अर्थदंड लगा जमानती वारंट जारी किया है। आदेश और प्रकरण बीना न्यायालय का है तथा अभी रजनी सिंह इंदौर के वाणिज्यकर विभाग में अपर आयुक्त, मोनिका वाघमारे जबलपुर में तहसीलदार तो जितेद्र रैकवार चंदेरी में पदस्थ हैं। मामले में अगली सुनवाई तारीख 23 सितंबर 2024 मुकर्रर की गई है। प्रकरण कहानी संक्षेप में इस प्रकार है फरियादी नंदकिशोर पटवा निवासी खिमलासा का हिरनछिपा गांव में आधार कार्ड सेंटर था। 23 जुलाई 2016 को तत्कालीन एसडीएम आइएएस रजनी सिंह, तहसीलदार मोनिका बाघमारे और कम्प्यूटर आपरेटर जितेंद्र रैकवार उनके घर से छापामार कार्रवाई करते कम्प्यूटर सहित अन्य सामान उठाकर तहसील ले गए। विरोध करने पर पटवा के खिलाफ तब शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाने का प्रकरण दर्ज करा दिया गया था। दो साल बाद 2018 में नंदकिशोर पटवा को तहसील कार्यालय से एक पत्र मिला, जिसमें जब्त सामग्री प्राप्त करने के लिए उसे निर्देशित किया गया। नंदकिशोर जब तहसील कार्यालय पहुंचे तो उन्हें लैपटाप नहीं दिया गया तथा उन्हें लैपटाप नजारत शाखा में जमा नहीं होने की जानकारी दी गई। जिस पर नंदकिशोर पटवा ने 20 अप्रैल 2018 को सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी तो एसडीएम कार्यालय से कोई रिकार्ड नहीं की बात कही इसके बाद पटवा ने दो मई 2018 को बीना न्यायालय में परिवाद दायर किया। पांच साल चली सुनवाई के बाद मानना न्यायालय ने इस बात पर सहमति जताई कि अधिकारियों ने वैधानिक कार्रवाई नहीं की और घर में घुसकर सामग्री जब्त की है, इसलिए रजनी सिंह, मोनिका वाघमारे और जितेंद्र रैकवार के विरुद्ध प्रकरण दर्ज करने के आदेश दिए। कई आदेश के बाद भी जब तीनों न्यायालय में पेश नहीं हुए तो न्यायालय ने बीना थाना प्रभारी को 27 जुलाई 2024 के आदेश को तामील कर हलफनामा दाखिल करने और विपक्षी अधिकारी की 23 सितंबर 2024 को पेशी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।