दुनिया का नियम हैं दो और लो : आचार्य मुक्तिसागर सूरीश्वर

:: पिपली बाजार उपाश्रय में जारी चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में बड़ी संख्या में पहुंच रहे श्वेताम्बर समाजजन ::
:: आज प्रतिक्रमण की भावयात्रा पर होंगे प्रवचन ::
इन्दौर (ईएमएस)। गिव एंड गेन… यह तो दुनिया का नियम है। यदि आप कुछ पाना चाहते हो, तो कुछ देना, अर्पण करना भी सीखो। बगैर कुछ भी छोड़े या त्याग किए प्राप्ति कैसे हो सकती हैं। मंदिर में भगवान के सम्मुख मोक्ष रूपी फल की कामना से ही हम स्वस्तिक करने के बाद सिद्धशीला पर फल चढ़ाते हैं।
उक्त विचार पिपली बाजार उपाश्रय में जारी चातुर्मासिक प्रवचन श्रृंखला के दौरान आचार्य मुक्तिसागर सूरीश्वर मसा ने जैन धर्मावलंबियों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। आचार्यश्री ने शांत सुधारस ग्रंथ पर प्रवचनों के साथ ही शनिवार को श्रावक-श्राविकाओं के लिए प्रश्नोत्तरी प्रवचन भी हुए। जिसमें आचार्यश्री ने सभी जैन धर्मावलंबियों के प्रश्नों के जवाब भी दिए। ऐसे ही एक प्रश्न के जवाब में आचार्यश्री ने टमाटर के विषय में पूछे गए प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि टमाटर किसी भी एंगल से बैंगन की प्रजाति नहीं है, यह तय हो चुका है। बैगन ग्रीन वेजीटेबल है जबकि टमाटर फलों की श्रेणी में आता है। वर्ण, गंध, रस और स्पर्श में से भी तरह उसकी तुलना बैंगन से नहीं की जाती। प्रश्नोत्तरी में पूछे गए प्रश्नों में से सर्वश्रेष्ठ प्रश्न था शांता बहन बापना का। जिन्होंने नरक के जीवों को सताने वाले परधामी देवो के बारे में पूछा था कि उनका भविष्य क्या? आचार्यश्री ने प्रत्युत्तर देते हुए कहा कि उनकी भूमिका यहां के पुलिसकर्मी जैसी होती है। वे नरक के जीवों को बहुत सताते हैं, इसलिए उन्हें फिर अंडगौलिक मनुष्य बनना पड़ता है। तपड़-तड़प कर मरते हैं और मरकर फिर वे भी नरक में चले जाते हैं।
अर्बुद गिरिराज जैन श्वेताम्बर तपागच्छ उपाश्रय ट्रस्ट अध्यक्ष पारसमल बोहरा, चातुर्मास समिति संयोजक पुण्यपाल सुराणा एवं कैलाश नाहर ने बताया कि रविवार 25 अगस्त को आचार्यश्री प्रतिक्रमण की भावयात्रा करवाएंगे। सोमवार को जन्माष्टमी होने से श्रीकृष्ण महाराजा द्वारा 1800 गुरूवंदन का आयोजन किया जाएगा।