भारतीय शेयर बाजार में भूचाल, निवेशकों को ६ लाख करोड़ का नुकसान

भारतीय संवत 2081 के मुहूर्त सौदे के बाद सोमवार पहला कारोबारी दिवस था। बाजार खुलते ही बिकवाली ने जोर पकड़ा। देखते ही देखते बीएसई ने 1200 अंक तक की गिरावट का गोता लगाया। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज निफ़्टी ने भी 400 से अधिक अंकों का गोता लगाया। मार्केट मैं कारोबार बंद होते तक निफ्टी 309 अंकों की गिरावट के साथ 23995 तथा बीएसई 942 अंकों की गिरावट के साथ 78782 पर बंद हुआ। 6 घंटे के कारोबार में निवेश को को 6 लाख करोड रुपए का नुकसान उठाना पड़ा। अक्टूबर माह के अंतिम कारोबारी सप्ताह में भारतीय बैंकों, म्युचुअल फंड और वित्तीय संस्थाओं ने बाजार की गिरावट को रोकने के लिए भारी निवेश किया था। वह निवेश भी मुनाफा वसूली में बाजार से निकल गया। पिछले कुछ वर्षों से भारतीय शेयर बाजार आसमान में आंधी तूफान की तरह उड़ रहा था। भारतीय वित्तीय संस्थानों और सरकारी क्षेत्र की कंपनियों का मुनाफा शेयर बाजार के कारोबार से लगातार बढ़ता जा रहा था। शेयर बाजार की कमाई से बैंकों और वित्तीय संस्थाओं की बैलेंस शीट हर तिमाही और हर साल के अंत में भारी मुनाफा दिखा रही थी। भारतीय शेयर बाजार में जब-जब मुनाफा वसूली हुई। बाजार को गिरने से रोकने के लिए, वित्त मंत्रालय और सरकार ने बैंकों,म्युचुअल फंड, भारतीय जीवन बीमा निगम, पेंशन फंड की जमा पूँजी को बाजार में निवेश कराया। जिसके कारण देसी और विदेशी निवेशकों को पिछले वर्षों में भारी मुनाफा होता रहा। अब बड़े निवेशक और विदेशी निवेशक शेयर बाजार से माल बेचकर मुनाफा वसूली करके बाहर निकल रहे हैं। विदेशी निवेशकों और देसी निवेशकों का चीन के शेयर बाजार में निवेश बढ़ रहा है।भारत के शेयर बाजार को गिरने से रोकने के लिए ना तो भारतीय कंपनियां शेयर बाजार में निवेश कर रही हैं। विदेशी निवेशक भी बाजार छोड़कर भाग रहे हैं। ऐसी स्थिति में कहा जा सकता है, 2008 में अमेरिका की जो स्थिति थी। वही स्थिति 2024 में भारत में बन गई है। भारतीय बैंक शेयर बाजार के जरिए बड़ा मुनाफा कमा रहे थे। यह मुनाफा उनकी बैलेंस शीट में आ रहा था। सरकार के दबाव में जब भी बाजार गिरने को हुआ। भारतीय बैंकों, सरकारी वित्तीय संस्थानों और सरकारी कंपनियों के निवेश को शेयर बाजार में कराया गया। शेयर बाजार में निवेश पूँजी पिछले दो सप्ताह में लगातार गिरावट आने के बाद, सबसे ज्यादा नुकसान इन्हीं कंपनियों और बैंकों को हुआ है। भारतीय बैंकों को दोहरी मार से गुजरना पड़ रहा है। सरकार की योजनाओं में बैंकों ने बड़े पैमाने पर कर्ज दिया है। बैंकों का एनपीए एक बार फिर बढ़ना शुरू हो गया है।तीसरी तिमाही में कंपनियों की बैलेंस शीट मे नुकसान देखने को मिल रहा है। तीसरी तिमाही में जीडीपी की दर मे भी गिरावट है।बाजार आर्थिक मंदी का शिकार हो गया है। ऐसी स्थिति में एक बार फिर हर्षद मेहता घोटाले की याद निवेशकों को आने लगी है।इसकी टोपी उसके सिर इतनी बारशेयर बाजार में घूम चुकी है। अब शेयर बाजार में टोपी घुमाना भी संभव नहीं रहा। शेयर बाजार की वास्तविक स्थिति अब सामने आ गई है।जिसके कारण शेयर बाजार के निवेशकों के साथ-साथ बैंकों में जिन लोगों की राशि फिक्स डिपाजिट मे जमा है।उनमें भी घबराहट देखने को मिल रही है। अमेरिका में लेहमन ब्रदर्स घोटाले के बाद सैकड़ो बैंक वहां दिवालिया हो गए थे। भारत के बैंकों में जमा राशि का अधिकतम 500000 रूपये तक का बीमा है। ऐसी स्थिति में लोग एफडी तुड़वाकर सोने और चांदी में निवेश करने लगे हैं। सोने और चांदी के भाव बड़ी तेजी के साथ बढ़ रहे हैं। बीएससी में सूचीबद्ध 30 कंपनियों मे अधिकांश में गिरावट बनी हुई है। वहीं एशियाई शेयर बाजार में दक्षिण कोरिया, चीन तथा हांगकांग के शेयर बाजार में तेजी देखने को मिली। संस्थागत देसी और विदेशी निवेशकों की बिकवाली के कारण भारतीय शेयर बाजार में हड़कंप की स्थिति मची हुई है। रही सही कसर सेबी प्रमुख माधवी पूरी बुच को बचाने के लिए केंद्र सरकार ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है। जिसके कारण विदेशी निवेशकों को हिडनबर्ग के आरोप तथा कांग्रेस पार्टी द्वारा जो तथ्यों के साथ आरोप लगाए गए हैं। उस पर देसी और विदेशी निवेशकों को विश्वास होने लगा है।विदेशी निवेशक बाजार छोड़कर जा रहे हैं। भारतीय कंपनियों द्वारा जो आंकड़े बताए जा रहे हैं। उन पर अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को विश्वास नहीं रहा। शेयर बाजार यदि 70000 रुपए के नीचे आता है। ऐसी स्थिति में बैंकों और भारतीय वित्तीय संस्थानो को बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। इसको संभाल पाने की स्थिति मे ना तो रिजर्व बैंक के पास है। नाही सरकार की आर्थिक स्थिति इस तरह की है। वह इतने बड़े घाटे को संभालने के लिए तुरंत बैंकों की आर्थिक मदद कर पाए। आर्थिक मंदी की सुगबुगाहट रूस, यूक्रेन, इजरायल, ईरान, हमास, हिज्बुल्लाह के बीच चल रहे युद्ध के कारण जिस तरह सेवैश्विक स्तर पर तनाव बढ़ रहा है। उसके कारण निवेशकों की चिंता दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है, भारतीय शेयर बाजार मंदी का शिकार हो चुका है। ऐसी स्थिति में निवेशकों में घबराहट होना स्वाभाविक है।