इन्दौर एंटीबायोटिक के अत्यधिक उपयोग से इसका असर कम हो रहा है। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि कम से कम बच्चों को तो अतिआवश्यक होने पर ही संतुलित मात्रा में एंटीबायोटिक दे, हर बार एंटीबायोटिक देना सही नहीं होता। यह बात इंफेक्शियस मिमिक्स एंड एंटी बायोटिक टुवर्ड इट विषय पर मुंबई से आए वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डा. बकुल पारीख ने 26वीं नेशनल कांफ्रेंस आफ पीडियाट्रिक इंफेक्शियस डिजीज में कहीं। डाक्टर पारीख ने कहा कि बच्चों में सर्दी खांसी और दस्त बहुत सामान्य बीमारी है। इसमें तब तक एंटीबायोटिक्स की जरूरत नहीं है जब तक की बच्चे को तेज बुखार, खांसी के साथ सांस फूलना या फिर मोशन में ब्लड जाने जैसे लक्षण दिखाई न दें। कांफ्रेंस के अंतिम दिन बच्चों की सेहत से जुड़े 20 से ज्यादा विषयों पर चर्चा हुई। कांफ्रेंस को संबोधित करते शिशु रोग विशेषज्ञ डा. जयदीप चौधरी ने बताया कि बच्चों को निमोनिया होने की दूसरी वजह धुआं है। अगर घर में चूल्हा जलता है या सिगरेट पीते हैं तो बच्चों में निमोनिया की आशंका बढ़ जाती है। इस दौरान आर्गेनाइजिंग चेयरमैन डा. जेएस टुटेजा, आर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डा. केके अरोड़ा आदि मौजूद थे।