-कैश मामले पर फायर डिपार्टमेंट ने भी साधा मौन
नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के बंगले पर भारी मात्रा में नकदी मिलने की खबरों ने हलचल मचा दी है। इस मुद्दे पर वकीलों ने सख्त कार्रवाई की मांग की है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जस्टिस वर्मा का अभी तबादला नहीं किया गया है। दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने कहा कि न्यायपालिका इस मामले को गंभीरता से ले रही है।
सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील अरुण भारद्वाज ने मुख्य न्यायाधीश की बेंच के समक्ष इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने न्यायपालिका की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए कठोर कदम उठाने की अपील की। इसी के साथ भारद्वाज ने कहा कि यह केवल मेरा विचार नहीं है, बल्कि कई वकीलों की राय है।
गौरतलब है कि जब बंगले में आग लगी तब जस्टिस वर्मा निवास पर नहीं थे और विवाद खड़ा होने के बाद शुक्रवार को वो कोर्ट भी नहीं पहुंचे। वहीं, दूसरी तरफ दिल्ली फायर सर्विस ने नकदी बरामद होने की खबरों पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। फायर डिपार्टमेंट के प्रमुख अतुल गर्ग ने बताया कि जस्टिस वर्मा के आवास पर आग स्टेशनरी और घरेलू सामान में लगी थी और इसे कुछ ही मिनटों में बुझा लिया गया था। बंगले में नकदी मिलने की खबरों को लेकर उन्होंने किसी तरह की कोई जानकारी होने से इनकार कर दिया।
सूत्रों ने बताया, कि जस्टिस वर्मा के बंगले पर रात करीब 11:30 बजे आग लगने की सूचना फायर डिपार्टमेंट और पुलिस को दी गई थी। दमकल विभाग ने 11:35 बजे कॉल रिसीव करने के फौरन बाद ही मौंके पर टीम पहुंची थी। दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, घटनास्थल पर कुछ भी असामान्य नहीं पाया गया।
कोर्ट पहुंचा विवाद, मीडिया का रहा जमावड़ा
जस्टिस वर्मा के घर पर आग लगने और नकदी मिलने की खबरों के बाद मीडिया का जमावड़ा दिन भर लगा रहा। इसे देख्रते हुए उनके 30 तुगलक क्रिसेंट रोड स्थित सरकारी आवास के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई। सुरक्षाकर्मियों ने मीडियाकर्मियों को अंदर जाने की अनुमति नहीं दी, जिससे दिनभर हलचल बनी रही। इस मामले के तूल पकड़ने के बीच खबर आई कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। इसी दौरान कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने का प्रस्ताव रख दिया है।
जस्टिस वर्मा की पृष्ठभूमि
जस्टिस यशवंत वर्मा को 11 अक्टूबर 2021 को दिल्ली हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। इससे पहले, वह इलाहाबाद हाईकोर्ट में जज थे। उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए हैं, जिनमें 2018 में यूपी के अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले में डॉ. कफील खान को जमानत देना भी शामिल है। वह न्यायपालिका की 11 से अधिक समितियों के सदस्य रहे हैं।