नई दिल्ली । जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना द्वारा आतंकवाद विरोधी अभियान को अंजाम देने के लिए ग्राउंडेड एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (एएलएच) को भी इस्तेमाल में लाया जाएगा। इस फैसले के पीछे वहां की दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियां और ऑपरेशन की संवेदनशीलता बताई जा रही है।
गौरतलब है कि भारतीय सेना, नौसेना, वायुसेना और कोस्ट गार्ड के बेड़े में शामिल सभी एएलएच हेलिकॉप्टर्स पिछले तीन महीनों से ग्राउंडेड हैं। इन्हें ग्राउंडिड करने का यह अहम कदम 5 जनवरी को पोरबंदर में कोस्ट गार्ड का एक एएलएच हेलिकॉप्टर क्रैश होने के बाद उठाया गया था। दुर्घटना की जांच अभी भी जारी है, और हेलिकॉप्टरों के उड़ान की अनुमति तब तक नहीं दी गई जब तक फ्लीट की सुरक्षा की पुष्टि नहीं हो जाती।
रक्षा सूत्रों के मुताबिक, चेतक और चीता हेलिकॉप्टर्स की सीमित नाइट फ्लाइंग क्षमता के कारण ऑपरेशन के लिए एएलएच को जरूरी माना गया है। वहीं वायुसेना के पास मौजूद एमआई-17 हेलिकॉप्टर्स भी उपयोग में लिए जा सकते थे, लेकिन उनका आकार बड़ा होने की वजह से पहाड़ी इलाकों में संचालन कठिन हो सकता था, जहां एएलएच अपनी मल्टी-टेर्रेन और नाइट ऑपरेशन क्षमताओं के साथ ज्यादा उपयोगी साबित होते हैं।
जांच और सुरक्षा पर फोकस
हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (हेल) के चेयरमैन डी. के. सुनील ने फरवरी में एयरो इंडिया शो के दौरान बताया था कि क्रैश की शुरुआती जांच में स्वाश प्लेट में दरार मिलने की बात सामने आई थी। हेल की डिफेक्ट इन्वेस्टिगेशन टीम (डीआईटी) यह जांच कर रही है कि यह खामी केवल विशेष हेलिकॉप्टर तक सीमित थी या पूरे फ्लीट के लिए चिंता की बात है। हालांकि तब कहा गया था कि फाइनल रिपोर्ट तीन हफ्तों में आ जाएगी, लेकिन अब तक रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है और पूरी फ्लीट की उड़ान शुरू करने पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
बहरहाल पहलगाम हमले के बाद हालात की गंभीरता को देखते हुए ही सेना ने जरूरी सावधानियों के साथ एएलएच को फिर से उड़ान भरने की अनुमति दी है।