इन्दौर । मानव चेतना विकास केंद्र पिवडाय इन्दौर में गत एक अप्रैल से लेकर 30 अप्रैल तक आयोजित 30 दिवसीय कार्यशाला का सफल समापन हुआ। यह कार्यशाला राज्य आनंद संस्थान आनंद विभाग मध्यप्रदेश सरकार द्वारा स्वीकृत दो वर्षीय अनुसंधान परियोजना के अंतर्गत आयोजित की गई थी। इसमें प्रदेश भर के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों से चयनित 20 प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं ने सहभागिता की।
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य युवाओं में कौशल, रोजगार और मानवीय मूल्यों के समावेश से आत्मनिर्भरता की समझ विकसित करना था। अनुसंधान परियोजना के निदेशक डॉ. अभय वानखेड़े ने बताया कि सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव और मानवीय मूल्य शिक्षा की कमी के कारण युवा मानसिक तनाव, अकेलापन और निर्णय असमर्थता जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। इस कार्यशाला में मानसिक, भावनात्मक व आर्थिक स्वतंत्रता की ओर अग्रसर करते हुए युवाओं को आत्मनिरीक्षण, संवाद और व्यावहारिक अभ्यासों के माध्यम से जीवन मूल्यों से जोड़ा गया।
कार्यशाला में 28 गहन सत्र आयोजित हुए, जिनमें आजादी क्या है?, असली चाहत क्या?, मेरा स्वभाव क्या है?,हमसे आगे कौन? जैसे जमीनी और आत्मपरक प्रश्नों पर चिंतन व मंथन हुआ। विद्यार्थियों ने व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक जीवन से जुड़े अनेक मुद्दों पर प्रश्न पूछे। संस्थापक मानव चेतना विकास केंद्र अजय दायमा ने विद्यार्थियों के प्रश्नों का सहज, तर्कयुक्त और अनुभव आधारित उत्तर देकर उन्हें दिशा प्रदान की। छात्रा तानिया देहरिया ने व्यवस्था में जीने की जिज्ञासा प्रकट की, वहीं सुमित मालवीय ने पारिवारिक अपनत्व व शोषण मुक्त जीवन की समझ विकसित करने का प्रयास किया। अमृता सनोदिया ने भय और नियंत्रण की स्थिति में स्वनियंत्रण की संभावनाओं को समझना चाहा। छात्रा नेहा ने तन-मन-धन के समुचित उपयोग को जानने की जिज्ञासा व्यक्त की, तो अनन्या सिंह ने मेहनत को मानवीय दिशा से जोड़कर जीने की समझ को अपनाया। कस्तूरबा ग्राम ट्रस्ट इन्दौर की वर्षा सामूहिक किचन व अपनत्व के अनुभव से विशेष रूप से प्रभावित हुईं।
मानव चेतना विकास केंद्र एक परिवार मूलक शैक्षणिक परिसर है। जहाँ देश के 11 राज्यों से 132 सदस्य आत्मनिर्भरता व मानवीय मूल्यों पर केंद्रित जीवन पद्धति का अभ्यास कर रहे हैं। केंद्र में घरेलू उपयोग की वस्तुओं का उत्पादन, निर्माण व प्रसंस्करण स्वयं किया जाता है, साथ ही नौकर मुक्त 200 गिर गायों की गौशाला भी संचालित की जाती है। कार्यशाला में रवि शेषाद्री, रामेन्द्र सिंह भदौरिया, चरण सिंह नायक, अनीस खान, सागर चावड़ा, अमित पाण्डेय, तारकेश राव और दिलीप चौहान जैसे अनुभवी मार्गदर्शकों ने छात्रों को सक्रिय सहभागिता एवं प्रेरणा प्रदान की। यह कार्यशाला न केवल एक शैक्षणिक पहल रही, बल्कि युवाओं को उनके जीवन, संबंध और समाज के प्रति संवेदनशील एवं सजग बनाने का सार्थक प्रयास भी सिद्ध हुई।