नौसेना को मिला निस्तार युद्धपोत, गहरे समुद्र में चलाए जाएंगे बचाव अभियान

नई दिल्ली । पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच सीमा पर बने हुए तनावपूर्ण हालात के बीच हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (एचएसएल) ने विशाखापत्तनम में आयोजित किए गए एक समारोह में नौसेना को गहरे समुद्र में गोताखोरी अभियान में बेहद मददगार पहला युद्धपोत ‘निस्तार’ सौंपा है। जिसका डिजाइन और निर्माण स्वदेश में किया गया है। वर्तमान में ऐसे युद्धपोत दुनिया के चंद देशों की नौसेनाओं के पास ही हैं। अब निस्तार के साथ ही भारतीय नौसेना भी विश्व के उन विशिष्ट देशों के समूह में शामिल हो गई है। रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान जारी कर यह जानकारी दी।
मंत्रालय ने कहा कि इस युद्धपोत का नाम निस्तार संस्कृत भाषा से लिया गया है। जिसका अर्थ मुक्ति, बचाव या मोक्ष होता है। इसकी लंबाई 118 मीटर और कुल वजन 10 हजार टन है। निस्तार गोताखोरी के अत्याधुनिक उपकरणों से लैस है। साथ ही यह समुद्र में 300 मीटर की गहराई तक गोताखोरी करने में भी पूरी तरह से सक्षम है और इसमें 75 मीटर की गहराई तक गोताखोरी करने के लिए एक साइड डाइविंग स्टेज भी मौजूद है। निस्तार गहरे जलमग्न बचाव पोत (डीएसआरवी) के लिए मदर शिप के रूप में भी काम करेगा। जिससे पानी के नीचे किसी पनडुब्बी में आपात स्थिति में कर्मचारियों को बचाया और निकाला जा सके। एचएसएल ने इस युद्धपोत को को एक हजार मीटर की गहराई तक गोताखोरी निगरानी और बचाव कार्यों को अंजाम देने के लिए दूर से संचालित वाहनों के संयोजन से सुसज्जित किया है। मंत्रालय ने कहा कि इसमें लगी हुई 75 फीसदी सामग्री स्वदेशी है। नौसेना के लिए यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। जिसमें केंद्र सरकार के आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया अभियान के दृष्टिकोण पर प्रमुखता से ध्यान केंद्रित किया गया है।