:: 1.26 करोड़ लाड़ली बहनों के खाते में आएंगे 1500 रू. ::
भोपाल । महिला एवं बाल विकास मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया ने कहा है कि लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (पॉक्सो एक्ट) बच्चों के अधिकारों और उनके भविष्य की सुरक्षा की गारंटी है। उन्होंने इस कानून के प्रति जन-जागरूकता को अत्यंत आवश्यक बताया, ताकि बच्चे शोषण का शिकार न हों।
मंत्री भूरिया ने यह बात कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा आयोजित एक क्षेत्रीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि बाल आयोग के अध्यक्ष श्री द्रविन्द्र मोरे के नेतृत्व में बाल संरक्षण के क्षेत्र में सराहनीय कार्य हो रहे हैं।
उन्होंने जोर दिया कि 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के खिलाफ किसी भी यौन अपराध के लिए पॉक्सो एक्ट में कठोर सजा का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार ने ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई करते हुए दोषियों को मृत्युदंड तक दिलवाया है, जो सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
:: बच्चों की देखरेख और पुनर्वास ::
मंत्री भूरिया ने बताया कि सरकार 137 बाल देखरेख संस्थाओं के माध्यम से जरूरतमंद बच्चों को आश्रय और पुनर्वास दे रही है। प्रधानमंत्री की पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन स्कीम के तहत मध्यप्रदेश के 435 अनाथ बच्चों को आर्थिक सहायता और छात्रवृत्ति दी गई है। इसके अलावा, मिशन वात्सल्य के अंतर्गत 13 हजार से अधिक बच्चों को सहायता मिल रही है।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने मध्यप्रदेश बाल संरक्षण नीति 2020 को लागू किया। उन्होंने स्कूलों में हर 15 दिन में पॉक्सो अधिनियम पर जागरूकता सत्र आयोजित करने का सुझाव दिया।
:: बच्चों का संरक्षण देश की सामूहिक जिम्मेदारी : धर्मिष्ठाबेन गज्जर
गुजरात बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती धर्मिष्ठाबेन वी. गज्जर ने भी कार्यशाला को संबोधित करते हुए बच्चों के संरक्षण को देश की सामूहिक जिम्मेदारी बताया। उन्होंने कहा कि बाल कल्याण समिति, पुलिस और महिला एवं बाल विकास विभाग को मिलकर बच्चों के लिए एक मजबूत सुरक्षा कवच बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी को संवेदनशीलता के साथ काम करना चाहिए ताकि हर बच्चे को सुरक्षित और सम्मानित वातावरण मिले।
:: बाल आयोग की जीरो टॉलरेंस नीति ::
मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष द्रविन्द्र मोरे ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम से जुड़े मामलों में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जानी चाहिए। उन्होंने वंचित और संवेदनशील बच्चों, खासकर प्रवासी श्रमिकों के बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की बात कही।
कार्यशाला में विशेषज्ञों ने शिक्षा, पुलिस और अन्य विभागों के सदस्यों को पॉक्सो एक्ट के कानूनी और व्यावहारिक प्रावधानों का प्रशिक्षण भी दिया।