किडनी की जन्मजात विकृति में बिना चीरे के आधुनिक तकनीक द्वारा की गई पथरी की सर्जरी

इंदौर – ४० वर्षीय सचिन वर्मा को किडनी में पथरी की शिकायत थी। जाँच करने पर उनकी बाई किडनी में जन्मजात विकृति पाई गईजिसे मालरोटेशन कहा जाता है। ऐसी स्थिति में किडनी की पथरी के लिये सामान्यत: किये जाने वाले ऑपरेशन्स संभव नहींथे।
अरिहंत हॉस्पिटल के यूरोलॉजिस्ट डॉ. नितेश पाटीदार (9838807021)  ने इसके लिए रेट्रोग्रेड इन्ट्रारीनल सर्जरी (आर आइ आर एस)तकनीक का उपयोग करने का निर्णय लिया। इस ऑपरेशन में बिना किसी चीरे के फ्लेक्सिबल यूरेटेरो रीनोस्कोपी द्वारा मूत्रमार्ग सेकिडनी तक पहुँचकर अत्याधुनिक लेजर के द्वारा पथरी को तोड़कर बास्केट के माध्यम से सफलतापूर्वक निकाल लिया गया।ऑपरेशन के ४८ घंटे बाद ही मरीज को छुट्‌टी दे दी गई।
डॉ. नितेश पाटीदार ने बताया कि ‘कई कारणों की वजह से यह ऑपरेशन ज्यादा चुनौतीपूर्ण था। पहला यह कि मरीज कीकिडनी की रचना एवं स्थिति सामान्य से अलग थी। दूसरा किडनी में किसी प्रकार का डायलेटेशन नहीं था तथा पथरी काआकार बड़ा एवं कठोरता बहुत ज्यादा थी। मरीज का वजन भी बहुत ज्यादा था।
इस सफल सर्जरी के लिए डॉ. प्रकाश बंगानी एवं डॉ. डी के तनेजा ने डॉ. पाटीदार एवं सर्जरी टीम को बधाई दी है। एनेस्थेशियाडॉ. दिपाली द्वारा दिया गया
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डॉ नितेश पाटीदार-
9838807021
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