ज़िन्दगीनाराज़बहुतरहतीहै,
ज़िन्दगीनाराज़बहुतरहतीहै,
मुझसेहरवक़्तझगड़तीहै।
नजानेक्यों, मैंउसकोनहीं,
वोमुझकोनहीसमझतीहै,
ज़िन्दगीनाराज़बहुतरहतीहै….
कैसेमैंसमझाऊंउसे,
कितनाप्यारमैंकरताहूँ,
मेरीमगर, वोएकनहीसुनतीहै,
ज़िन्दगीनाराज़बहुतरहतीहै….
मैंजाऊँजिधर, वोदिलमेमेरेरहतीहै,
मुझपेशायद, बिश्वासवोकमकरतीहै,
ज़िन्दगीनाराज़बहुतरहतीहै…..
छुपाउससेकभी, कोईकामनहीकरताहूँ,
मुझसेमगर, कभीकभीवोछुपतीहै,
ज़िन्दगीनाराज़बहुतरहतीहै…..
कभीतोसमझलोमुझको,
समझकेभी, मुझकोनहीसमझतीहै,
ज़िन्दगीनाराज़बहुतरहतीहै,
मुझसेहरवक़्तझगड़तीहै,
ज़िन्दगीनाराज़बहुतरहतीहै।
राजीवरंजनसिन्हा “कुंदन“