सोहराबुद्दीन शेख-तुलसीराम प्रजापति मुठभेड़ मामले में 13 साल बाद शुक्रवार को फैसला आ गया और सीबीआई की स्पेशल अदालत ने अपने फैसले में सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया है| कोर्ट ने माना है कि सोहराबुद्दीन केस में किसी तरह की साजिश की बात की पुष्टि नहीं हुई है| कोर्ट ने कहा कि इस मामले में साजिश की बात कहीं से भी साबित नहीं हुई| अभियोजन पक्ष लिंक साबित नहीं कर पाया| सोहराबुद्दीन हत्या मामले में कोर्ट ने माना कि हत्या गोली लगने हुई है लेकिन गोली 22 में से किसी आरोपी ने चलाई थी यह साबित नहीं हुआ| सीबीआई स्पेशल जज ने अपने फैसले में माना है कि सभी गवाह और सबूत संतोषजनक नहीं हैं कि साबित कर सकें कि हत्या में किसी तरह की साजिश थी| कोर्ट ने यह भी माना है कि परिस्थिति जन्य साक्ष्य पर्याप्त नहीं हैं| कोर्ट ने सीबीआई के आरोपपत्र में नामजद 38 लोगों में 16 को सबूत के अभाव में पहले ही आरोपमुक्त कर दिया है| इनमें अमित शाह, राजस्थान के तत्कालीन गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया, गुजरात पुलिस के पूर्व प्रमुख पी सी पांडे और गुजरात पुलिस के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी डीजी वंजारा शामिल हैं| महाराष्ट्र की एक स्पेशल सीबीआई कोर्ट में चल रहे इस मामले पर सभी की विशेष निगाह इसलिए रही क्योंकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आरोपियों में शामिल थे| हालांकि, उन्हें 2014 में आरोप मुक्त कर दिया गया था| अमित शाह इन घटनाओं के वक्त गुजरात के गृह मंत्री थे| मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष के करीब 92 गवाह मुकर गए| इस महीने की शुरूआत में आखिरी दलीलें पूरी किए जाने के बाद सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश एस जे शर्मा ने कहा था कि वह 21 दिसंबर को फैसला सुनाएंगे| ज्यादातर आरोपी गुजरात और राजस्थान के पुलिस अधिकारी हैं| साल 2005 के इस मामले में 22 लोग मुकदमे का सामना कर रहे थे, जिनमें ज्यादातर पुलिसकर्मी हैं| आरोपमुक्त किए गए लोगों में मुकेशकुमार लालजीभाई परमार, नारायणसिंह हरिसिंह धाबी, बालकृष्ण राजेन्द्र प्रसाद चौबे, रहमान अब्दुल रशीदखान, हिमांशुसिंह राजावत, श्यामसिंह जयसिंह चरण, अजयकुमार भगवानदास परमार, संतराम चंद्रभान शर्मा, नरेश विष्णुभाई चौहान, विजयकुमार अर्जुनभाई राठौड, राजेन्द्रकुमार जीरावाला, घट्टमनेनी श्रीनिवास राव, आशीष अरूणकुमार पंड्या, नारायणसिंह फतेसिंह चौहान, युवधीरसिंह नाथूसिंह चौहान, करतारसिंह यादराम जाट, जेठूसिंह मोहनसिंह सोलंकी, कानजीभाई नरनभाई कच्छी, विनोदकुमार अमृतकुमार लिम्बाचिया, किरणसिंह हलाजी चौहान और करणसिंह अर्जुनसिंह सिसोदिया शामिल हैं|
गौरतलब है 26 नवंबर 2005 की रात गुजरात पुलिस की मुठभेड़ सोहराबुद्दीन शेख की मौत हो गई थी| जबकि उसके साथी तुलसी प्रजापति को गुजरात और राजस्थान पुलिस ने 27 दिसंबर 2006 को मार गिराया था| सीबीआई का आरोप था कि सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और उसके सहयोगी तुलसी प्रजापति को गुजरात पुलिस ने एक बस से उस वक्त अगवा कर लिया था, जब वे लोग 22 की रात हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे| सीबीआई के मुताबिक सोहराबुद्दीन की 26 नवंबर 2005 को अहमदाबाद के पास कथित फर्जी मुठभेड़ में हत्या कर दी गई| सोहराबुद्दीन की पत्नी कौसर बी को तीन दिन बाद मार डाला गया और उसके शव को ठिकाने लगा दिया गया| जिसके करीब एक साल बाद तुलसी प्रजापति की गुजरात और राजस्थान पुलिस ने गुजरात – राजस्थान सीमा के पास छापरी में कथित फर्जी मुठभेड़ में गोली मार कर हत्या कर दी|