भाजपा का जातिवादी चेहरा:भारतीय समाज को तोड़ने की साजिश

दिल्ली में भाजपा सांसद उदित राज द्वारा ऑल इंडिया कनफेडरेशन आफ एससी एसटी ऑर्गेनिजेशन की रामलीला मैदान पर आयोजित एक रैली में यह मांग करना कि हायर ज्यूडिशरी  एवं उच्च न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय में भी आरक्षण लागू करना चाहिए, इस देश के संविधान तथा भारतीय समाज को तोड़ने की साजिश है। सपाक्स पार्टी के अध्यक्ष हीरालाल त्रिवेदी ने कहा कि  इससे भाजपा की जातिवादी  राजनीति का असली चेहरा उजागर होता है। उन्होंने एक बयान में कहा कि लगता है भाजपा के शीर्ष पर बैठे लोग इस देश के कानून और समाज दोनों को जाति के टुकड़ों में बांटना चाहते हैं तथा समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों में जातिवादी नफरत पैदा करना चाहते हैं। संविधान में हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट में इसलिए आरक्षण लागू नहीं किया क्योंकि यहां जाति एवं धर्म के ऊपर उठकर कानून एवं नियमों के विद्वान व्यक्तियों की आवश्यकता है जो कानून और नियमों के मान से तटस्थ और सही फैसले कर सकें ना की जाति और राजनीति से प्रेरित फैसले करें। जबकि भाजपा नेतृत्व यही चाहते हैं कि जिस प्रकार से वो जाति और धर्म के नाम से लोगों को बांटकर जो कानून और नियम बना रहे हैं उनको उच्च और सर्वोच्च न्यायालय सही ठहराये और इसके लिए वे पिछले दरवाजे से माहौल बनाकर संसद में इस प्रकार का कानून लाना चाहते हैं तथा न्याय प्रणाली को भी प्रभावित करना चाहते हैं। यदि इस देश के नागरिक अभी नहीं जागे तो निश्चित है वह दिन दूर नहीं जब यह देश भौगोलिक रूप से एक होते हुए भी जाति और धर्म में बंटा रहेगा तथा इस देश में  कानून समानता के आधार पर लागू न होकर का जाति के आधार पर लागू होगा। इससे अराजकता का माहौल बनेगा तथा इस देश में जाति और धर्म के नाम पर वर्ग संघर्ष की स्थिति बनेगी । वक्त आ गया है कि इस देश के नागरिक सतर्क हो तथा इस देश में समानता के आधार पर कानून और नियम बने तथा लागू हो, यह देखना अब आवश्यक हो गया है क्योंकि प्रजातंत्र में अंतिम निर्णय जनता को ही करना है।