(नई दिल्ली) कांग्रेस बोली- सज्जन कुमार को दोषी ठहराए जाने का ‘राजनीतिकरण’ नहीं किया जाना चाहिए

-सज्जन पर फैसले के बाद कांग्रेस ने गुजरात दंगों को लेकर किया भाजपा पर पलटवार
नई दिल्ली (ईएमएस)। वर्ष-1984 में नई दिल्ली में हुए अमानवीय सिख विरोधी दंगों को लेकर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने आ गई हैं। सज्जन कुमार को दोषी ठहराए जाने पर कांग्रेस ने कहा कि मामले का ‘राजनीतिकरण’ नहीं किया जाना चाहिए और कानून को अपना काम करने देना चाहिए। कांग्रेस ने भाजपा पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि शीर्ष पदों पर बैठे उसके नेताओं के नाम 2002 के गुजरात दंगों में सामने आए थे। विपक्षी पार्टी ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का भी बचाव करते हुए कहा कि उनके खिलाफ कोई मामला नहीं है और कहा कि सज्जन कुमार किसी पद पर नहीं थे और दशकों से उन्हें टिकट भी नहीं मिला। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सज्जन कुमार को दोषी ठहराए जाने की सराहना की। अमरिंदर ने इसे आजाद भारत की सबसे भयंकर सांप्रदायिक हिंसा में से एक के पीड़ितों को अंतत: न्याय मिलने का मामला बताया। अमरिंदर ने एक बयान में कहा कि कुमार को निचली अदालत द्वारा बरी करने के फैसले को पलटने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भारत की न्यायपालिका राष्ट्र की लोकतांत्रिक प्रणाली के स्तंभ के रूप में निरंतर खड़ी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, देश में जो राजनीतिक वातावरण है, उससे इसे नहीं जोड़ा जाना चाहिए। कानून को अपना काम करने देना चाहिए। इसमें अपील भी है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि इस संबंध में अतीत में भी फैसले हुए हैं और उनमें जहां लोगों को दोषी पाया गया है, वहीं अन्य को दोषमुक्त करार दिया गया। सिंघवी ने कहा कि इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए और इससे राजनीतिक फायदे के बारे में नहीं सोचना चाहिए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि सज्जन कुमार के पास पार्टी में कोई पद नहीं था। हराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामला और इसकी सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति बीएच लोया की संदिग्ध मौत का जिक्र करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा, अदालत का जो फैसला आया है, वह कानूनी प्रक्रिया है। हमने देखा है कि सोहराबुद्दीन मामले में किस तरह परदा डाला जा रहा है…और न्यायमूर्ति लोया की मौत के बारे में क्या? उन्होंने संवाददाताओं से कहा, इसे राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि यह अदालत का फैसला है। सिब्बल ने गुजरात में 2002 में हुए दंगों का मामला उठाया और आरोप लगाया कि इसमें भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं के नाम शामिल थे।
संसद के बाहर कांग्रेस सांसद ने संवाददाताओं से कहा कि हां न्याय मिलने में देरी हुई लेकिन अंतत: न्याय मिला। कानून से ऊपर कोई नहीं है। इस तरह के जघन्य अपराध में जो भी शामिल हों, उन्हें न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए। सिंघवी ने कहा कि सज्जन कुमार पार्टी में किसी पद पर नहीं थे, ना ही वह मंत्री थे। दशकों से उन्हें टिकट भी नहीं दिया गया। आपके यहां वह प्रधानमंत्री हैं, पार्टी के अध्यक्ष हैं, मंत्री हैं। आप उनसे सवाल नहीं पूछते, आप हमसे सवाल करते हैं। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने आरोप लगाया कि गुजरात दंगों में भाजपा के कई नेता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संलिप्त थे। सिंघवी ने कहा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई मामला नहीं है। उन्होंने कहा, ना तो वह दोषी ठहराए गए, ना ही आरोप है, ना ही न्यायिक प्रक्रिया चल रही है। मेरा मानना है कि देश को गुजरात दंगे से करीबी तौर पर जुड़े लोगों से पूछना चाहिए, जो उस समय मुख्यमंत्री के पद पर थे, राज्य के गृह मंत्री थे और आज प्रधानमंत्री के पद पर हैं, भाजपा के अध्यक्ष हैं, उनका क्या। उन मामलों का क्या हुआ? पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील कुमार जाखड़ ने कहा कि पार्टी इस बात को लेकर स्पष्ट है कि दंगों में शामिल रहने वालों को न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए।
विपिन/ईएमएस/ 18 दिसंबर 2018