लंबे समय से है ऐसीडिटी की परेशानी तो हो सकता है एसोफैगल कैंसर

एसोफैगल कैंसर यानी कि फूड पाइप का कैंसर आज के समय में काफी आम हो गया है। मानव शरीर में फूड पाइप गले से पेट तक जाती है। हम जो भी खातें हैं वो फूड पाइप के जरिए पेट तक जाता है जिसके बाद पाचन का प्रॉसेस शुरू होता है। इस फूड पाइप को ग्रासलीन के नाम से भी जाना जाता है। एसोफैगल कैंसर की शुरुआत उन कोशिकाओं से होती है जो खाने की नली के अंदर पाई जाती हैं। यह कोशिकाएं खाने की नली के अंदर असामान्य तरीके से बढ़ने लगती हैं जो बाद में एक जगह पर एकत्रित होकर जमने लगती हैं। जमी हुई कोशिकाएं ट्यूमर का रूप ले लेती हैं जो बाद में पूरे शरीर में फैल सकता है।

वैसे तो यह कैंसर ज्यादातर 50 की उम्र से ज्यादा के लोगों में होता है लेकिन कभी.कभी यंग ऐज में भी इस कैंसर के होने की पूरी संभावनाएं होती हैं।नई दिल्ली स्थित हेल्दी ह्युमन क्लीनिक के सेंटर फॉर लीवर ट्राप्लांट एंड गैस्ट्रो साइंसेज के डायरेक्टर डा.रविंदर पाल सिंह मल्होत्रा का कहना है की  इस कैंसर का शुरुआती लक्षण होता है खाने को निगलने में परेशानी यानी कि फूड पाइप में सूजन आ जाती है जिसके कारण खाना निगलने में काफी असहजता महसूस होती है। अगर इसका इलाज शुरुआत में ही शुरू हो जाए तो इस कैंसर से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है।

अगर लाइफस्टाइल में सही बदलाव किए जाएं तो एसोफैगल कैंसर को होने से रोका जा सकता है। ज्यादा से ज्यादा पानी पीनाए हरी सब्जियां और ताजे फल खानाए कम मिर्च.मसालेदार और कम लताभुना खानाए बाहर के बजाय घर का सादा भोजन खानाए खाने के बाद आधे घंटे वॉक करनाए ये सब आदतें आपको इस कैंसर के होने से तो बचाएंगी ही बल्कि अन्य बीमारियों से भी दूर रखेंगी।

सर्जरी के द्वारा एसोफैगल कैंसर का इलाज हो सकता है। छोटे.छोटे ट्यूमर हों या फिर बढ़ी हुई कोशिकाएंए ये सब सर्जरी के जरिए निकाले जा सकते हैं। साथ ही इस कैंसर का इलाज कीमोथेरपी से भी किया जा सकता है। कीमोथेरपी वो दवा उपचार है जिसमें कैंसर की कोशिकाओं को मारने के लिए रसायनों का उपयोग किया जाता है। इसकी दवाओं का उपयोग आमतौर पर कीमोथेरपी एसोफैगल कैंसर से ग्रस्त लोगों में सर्जरी से पहले या सर्जरी के बाद किया जाता है। जिन लोगों का कैंसर फूड पाइप से आगे फैल जाता हैए कीमोथेरपी ऐसे लोगों के इलाज में अकेले ही कारगर साबित हो सकती है। इसके अलावा रेडिएशन थेरपी का भी सहारा लिया जा सकता है। इस थेरपी में कैंसर की कोशिकाओं को मारने के लिए तेज उर्जा वाली बीम का इस्तेमाल किया जाता है। रेडिएशन थेरपी का उपयोग आमतौर पर एसोफैगल कैंसर से ग्रस्त लोगों के इलाज में किमोथेरपी के साथ किया जाता है।