शोर मन में भरा, मौन संवेदना

शोर मन में भरा, मौन संवेदना

एक मतभेद ने ,भेद मन में किया।

पाट लेते अगर, हां कई दूरियां

बीच मिलती नहीं, कोई मजबूरियां|

इक अहम से हजारों, वहम पल गए |

जीत रंजिश गई, और हम छल गए |

खो गया वो समय ,खेद मन में किया |

एक मत भेद ने ,भेद मन में किया |

दूरियां  राह दिलकी,छुए ना कहीं

मान भूले मगर प्रेम भूले नहीं |

क्या हुआ इक पहल आप ही सोचते |

भूल अभिमान को भावना रोचते |

हैं गठाने कई ,छेद मन में किया |

एक मत भेद ने, भेद मन में किया |

क्यों उदासी हुई, ये बताओ जरा |

बंदिशे छोड़कर, पास आओ जरा |

यूं सलीके से मिलना, लगा गैर सा |

हो वही हक़ मेरा, तुम सताओ जरा |

     सरला मिश्रा –          नई दिल्ली