कोई अनुबंध होता नहीं प्यार में….

कोई अनुबंध होता नहीं प्यार में….

अब कहां वो प्यार इस बहार में

जब कोई अनुबंध न होता था प्यार में

अब कहां सहन शक्ति भरी इंसान में

कभी तकरार ना होता था

 मोहब्बत-ए इज़हार में।।

पहले होती थी मर्यादा, हया प्यार में

अब कहां खुद पर आपा बताओ

युवाओं इस इकरार में।।

पहले ना अनुबंध, ना तोहफ़े थे

भरे थे बस शिष्टाचार में।।

अब तो बस महंगे तोहफ़े बांधे समा

लबों के जल्द टकरार में।।

लेखिका हूं ना रोक ना पाऊंगी

सत्य लिख साथ दूंगी कलम की पुकार में

जहर भरा शब्दों में पर सच्चाई

भरी हर एक शब्द की कहार में।।

जवाब दो नवयुवा पीढ़ी सवाल है

क्या प्यार है, या जिस्म़ और तोहफ़े

बड़ा आज मोहब्बत-ए कांटों भरी

चित्कार में।।

कोई अनुबंध ना होता था प्यार में

सीखो, चलो जरा राधाकृष्ण, मीरा, की 

भक्ति भरी हर एक करुणा भरी प्रेम 

सी राह में।।

वीना आडवानी तन्वी

नागपुर, महाराष्ट्र

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