ट्रक साहित्य में बुरी नजरें!

बुरी नजर वाले इतने अच्छे होते हैं कि बुरे टाइम में भी अच्छी-भली बुरी नजर लगाने के लिए तत्पर हो जाते हैं। जो अच्छी-भली नजरों से निहार रहा है, जो अच्छी नजरों से आंखें चार कर रहा है; वो जाने कब चैट करके सेट करते हुए ड्रग्स के बिजनेस में उतार देता है। बुराई के व्यापार में नजरों का भी एक फंडा है। नजरें कई प्रकार की होती है। खराब नजर, बुरी नजर और बहुत बुरी नजर। आज के जमाने में अक्सर अच्छी दिखाई देने वाली नजर अंततः बुरी ही होती है। अंतरराष्ट्रीय ट्रक साहित्य में बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला का सिद्धांत वर्षों से छाया हुआ है। बुरी नजर वालों का मुंह काला करने का ही नियम है। पूरे शरीर को काला करने का अभी तक कोई तथ्य सामने नहीं आया है। यह भी हो सकता है कि बुरी नजर वाले का पहले से ही पूरा शरीर ही काला हो! तब उसको काला करने का क्या फायदा? ट्रक साहित्यकार बुरी नजर वालों के बच्चों को बड़ा होने की शुभकामनाएं देते हैं। ऐसे ट्रक साहित्यकार हर जगह है पसरे पड़े हैं। कहते हैं- बुरी नजर वाले तेरे बच्चे जिएं, बड़े होके तेरा खून पिएं और लगातार खून पीते ही रहें। कई-कई ट्रक तो नितांत दार्शनिक अंदाज में बुरी नजर वाले को ईश्वर-अल्लाह से डराकर कहते हैं कि बुरी नजर वाले तेरा अंजाम भी बुरा ही होगा। सूत्र वाक्य है- बुरी नजर बुरा अंजाम! लेकिन इसका अब तक कोई फायदा नहीं मिला है, क्योंकि बुरी नजर वालों ने हर जगह अच्छी-खासी सेटिंग कर रखी है। कई ट्रकमार्गी ऐसे हैं जो राष्ट्रीय जनसंख्या नियंत्रण में अपना योगदान देते हैं और वे बुरी नजर वालों को कहते हैं कि हे बुरी नजर वाले! तू फटाक से नसबंदी कराले! पर वे इतने शातिर हैं कि कहने वाले की नसबंदी कर देते हैं और अपना कुनबा बढ़ाते ही जाते हैं। 

बुरी नजर वालों की हिफाजत के लिए जूतों की माला और काली हंडिया भी घर-घर लटकाई जाती है। लेकिन बुरी नजर वाला इस हंडिया में ऐसे छेद कर देता है, जैसे कोई जिस थाली में खाता है उसी में छेद कर देता है। बुरी नजर से बचाने के लिए दुकानों-मकानों के दरवाजों पर हरी मिर्च और नींबू के साथ कोयला लटका मिलता है। अंतरराष्ट्रीय बुरी नजर वाले डॉन भी एक हरी मिर्च से भागते दिखाई देते हैं! बुरी नजर वाला जाने क्या-क्या अच्छे ढंग से बुरा काम करता है। यह अच्छे-अच्छे नेता को भी पता नहीं लगता। सियासती फील्ड में बुरी नजर वालों को खास तरह से कोसते हुए कहते हैं कि हे बुरी नजर वाले! तेरे मुंह से मास्क हटा ले! कोरोना जांच करवाले! बुरी नजर वालों से रिश्तेदारी के लिए कई साहित्यकार मचलते हैं। बुरी नजर वाला तू मेरा सगा साला। साला कहने के चक्कर में वे उसे वरदान भी दे डालते हैं। बुरी नजर वाले तेरा भी भला हो। कई शांतिप्रिय जन बुरी नजर वालों की सेवा के लिए करारे-करारे जूते-चप्पल भी उसकी खोपड़ी में उतारने लगते हैं। इसी समय बाकायदा बड़ा सा बोर्ड लगाकर उसे संदेश दे देते हैं कि बुरी नजर वाले फटाफट जहर खा ले। फिर आबकारी विभाग के भले के लिए, पुलिस डिपार्टमेंट की आय वृद्धि के लिए अक्सर यह भी कह देते हैं कि बुरी नजर वाले सौ साल जिएं, तेरे बच्चे दारु पी पी के मरें। बुरी नजर वाले खुदा हाफिज! या फिर कह डालते हैं बुरी नजर वाले हट साले! व्यक्ति से लेकर देश तक बुरी नजरों वाले बने बैठे हैं। क्या किया जाए आखिर इनका!

— रामविलास जांगिड़,18, उत्तम नगर, घूघरा, अजमेर (305023) राजस्थान