सीता की खोज

राम ,लखन  है  दोनों  भाई।

वे  पंचवटी  में  है   दुखदाई।

हरण हो  गई मां  सीता  की,

पूछ रहे कोई  बताओ भाई।।

कर  विलाप  भटकते कानन,

खग, वृंद,  तरूओ  से  बोले।

क्या  इस  राह  से निकली है,

गिद्धजटायु अपने मुख खोलें।।

लंका  नरेश  दशानन  रथ में,

दक्षिण  दिशा  में वह ले गए।

कोशिश  किए  बचाने को मैं,

मेरे  डंक, पंख को काट गए।।

मेरे  विनती सुन लो  हे रघुवर,

आगे   मिले   शबरी  आश्रम।

सीता  की  पता  वहां से मिले,

थोड़ा कर लेना वहीं  विश्राम।।

देखकर सबरी राम लखन को,

सुंदर साआसन में उन्हें बैठाई।

तन  पुलकित  मन  हर्षित हुई,

पूरी बात  प्रभु राम  को बताई।।

            देवीदीन चंद्रवंशी

            ग्राम – बेलगवां

         तहसील पुष्पराजगढ़ 

      जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश