देख तुझको बड़ा याद आता है वो ,
मेरी धड़कन को अक्सर बढ़ाता है वो।
जिसके वादों पे मैंने किया एतबार ,
मेरी धड़कन से क्यों खेला जाता है वो ।
चांद तू ही बता क्या करे चांदनी ,
क्या तुझसे जुदा हो रह पाता है वो ।
राह तकती हूं उसकी मैं शामों पहर ,
क्यों अक्सर दगा दे जाता है वो ।
अब तो रुत ये सुहानी भी भाती नहीं ,
आके यादों में मुझको सताता है वो ।
जो तुझको मिले तो ये कहना उसे ,
क्यों मेरे प्यार को आजमाता है वो ।
छोड़कर मैं भी इक दिन चली जाऊंगी ,
फिर ढूंढेगा ना मैं नजर आऊंगी ।
इस चाहत के मेले में खो जाएगा ,
होके मुझसे जुदा तन्हा हो जाएगा ।
तब चाहेगा फिर भी ना मिल पाऊंगी,
अपनी चाहत वो तुझसे ही बतलाएगा ।
होगी उसको ख़बर तब इस बात की ,
मेरी चाहत को तब वो समझ पाएगा।
नासमझ है समझ नहीं पाता है वो ,
मेरी धड़कन को अक्सर बढ़ाता है वो।
देख तुझको बड़ा याद आता है वो ,
मेरी धड़कन को अक्सर बढ़ाता है वो।
जिसके वादों पे मैंने किया एतबार ,
मेरी धड़कन से क्यों खेला जाता है वो ।
चांद तू ही बता क्या करे चांदनी ,
क्या तुझसे जुदा हो रह पाता है वो ।
राह तकती हूं उसकी मैं शामों पहर ,
क्यों अक्सर दगा दे जाता है वो ।
अब तो रुत ये सुहानी भी भाती नहीं ,
आके यादों में मुझको सताता है वो ।
जो तुझको मिले तो ये कहना उसे ,
क्यों मेरे प्यार को आजमाता है वो ।
पूनम शर्मा स्नेहिल