।। लालू का हमला – नीतीश का पलटवार, गरमाई बिहारी राजनीति।।
भक्चोन्हर। आ गईल बानी ?…हठ, कौन है ? विसर्जन के लिए …! जी हां , राजनीति की लम्बी पारी खेलने वाले और राजनीतक गलियारे में अपनी ठेठ,गंवई और भदेस शैली से पहचान बनाने वाले लालू यादव का बिहार आगमन हो गया । जेल, फिर दिल्ली प्रवास के बाद लालू के बिहार आते ही सुस्त पड़ी राजनीति का पारा गरम होने लगा है। मांद में छिपे नेता भी बयानवीर बनने लगे हैं । लालू इस बार हमलावर दिख रहें हैं। वह अपनी राजनीतिक अनुभव की लाठी से पहले कांग्रेस को, फिर भाजपा और अंततः नीतीश को हरका रहें हैं। वो भी बिहार में विधानसभा की दो सीटों( कुशेश्वरस्थान और तारापुर) पर उपचुनाव हैं, इसलिए राजनीतिक माहौल पहले से ही गर्म है। ऐसे में कद्दावर नेताओं की बोल को पालिटिकल माइलेज मिलना तय है। लालू ने अपने पहले इंटरव्यू में कहा…. तेजस्वी यादव पहले ही विरोधियों को उखाड़ फेंकना है, जो थोड़ा-बहुत बचा है, उस एनडीए-नीतीश सरकार के विसर्जन के लिए आया हूं। तो भला सुशासन बाबू नीतीश कुमार भी कहां दम रखने वाले थें, उन्होंने ने भी कह डाला… लालू जी , मुझको गोली, मरवा दें…सबसे अच्छा यही होगा । बाकी तो वे कुछ कर नहीं सकते हैं।पर,अगर चाहे तो गोली मरवा सकते हैं। बिहार के सीएम नीतीश के इस बयान के अलग -अलग निहितार्थ और राजनीतिक मायने हो सकते हैं, लेकिन एक बात तो दिन के उजाले की तरह साफ है कि नीतीश ने अपने बोल से … गाहे-बगाहे जनता को लालू-राबड़ी के तथाकथित “जंगलराज” की याद ताजा करने की कोशिश की है, जिस सोशल -स्टिग्मा को भुनाकर वो सत्तानशीं हुए और अभी भी बने हैं।
राजनीति में बयानबाजी दाल में छौंक की तरह होती है। कौन कितना तगड़ा छौंक लगाता है। मेरे अनुभव कहते हैं कि लालू के बोल से उनके सुस्ताए और मुरझाए वोटर में नई उर्जा का संचार हुआ है , तो वहीं नीतीश के बोल में जंगलराज का ट्रम्प कार्ड आज भी बना है। अब देखना दिलचस्प होगा कि दो सीटों की विधानसभा उपचुनाव में जीतता कौन है। जनता बाजीगर किसे बनाती है। क्योंकि कद्दावर नेता दोनों हैं। लालू-नीतीश का अपना-अपना सियासी बिसात है। वोट बैंक हैं।फिर भी मालिक तो जनता ही है। आखिर…. लोकतंत्र जो है। बहरहाल, बिहारी राजनीति इस
वक्त बड़ी ही मनोरंजक-निर्णायक मोड़ पर है। क्योंकि कि स्टेज शो पे लालू भी हैं।
डॉ.हर्ष वर्द्धन
( लेखक)
पटना बिहार
6200053644