कहते हैं कि ढ़ूंढने से ख़ुदा भी मिल जाता है मगर एक बन्दे को बग़ैर ढून्ढे ही ख़ुदा मिल गया जो उससे ख़ुद ही मुख़ातिब भी हो गया. अब बन्दे को क्या चाहिए था. वह फूल कर गुप्पा हो गया .
ख़ुदा ने अपने बन्दे से कहा…
“मांग ले.. आज जो मांगेगा ..सब दूंगा.”
बन्दा मुस्कुराया फिर बोला ” सब मिलेगा .. जो भी मांगूगा !”
” मांग कर तो देख “
” देना है तो बेहिसाब अक़्ल दे दे.”
ख़ुदा ने फिर पूछा ” बस…इससे तेरी सारी परेशानी दूर हो जायेगी ! सोच ले.. एक ही मोक़ा मिलेगा.”
” तू देकर तो देख. सारी दुनिया जीत लूंगा और फिर ख़ुद इस दुनिया का ख़ुदा बन जाऊँगा. “
“तू तो बहुत चालाक है.तेरे पास अक़्ल की कमी कहाँ है ?”
“फिर मुझे वह हुनर दे दे जिसमें मैं झूठ बोलूं तो सामने वाले को सच लगे.”
जाफ़र मेहदी जाफ़री
178/247 गोलागंज
लखनऊ