राम नाम का मर्म
जो जाएगा जान
भव बाधा हर दुख से
तर जाएगा पार।।
सुमिरन मात्र से
जीवन हो जाएगा साकार
मोह माया के फेर से
निर्लिप्त रहेगा मान।
जो चित्र नहीं चरित्र हैं
मानव रूप में जन्मे सर्वश्रेष्ठ हैं
समाहित जिनमें जनहित है
वो राम मात्र सर्वोत्तम, सर्वश्रेष्ठ हैं।
परमारथ के कारण
सामान्य रूप धारण किया
छोड़ भोग विलास, सुख सारे
खुद जटिल जीवन चुना।
इस भूतल को स्वर्ग बनाने आए जो
सन्देश नहीं स्वर्ग लाए वो
जीवन की दुर्बलताओं में
संबल बढ़ाने आए वो।
है धन्य हुई ये धरा
जिनके आगमन से
वो राम अतुलनीय
परमपूजनीय तन-मन से।।
डॉ० दीपा
असिस्टेंट प्रोफेसर
दिल्ली विश्वविद्यालय