कुम्हार की कला

हाथ चलाता कुम्हार चाक पर

मिट्टी से बनाता सुराही और बर्तन

भिन्न भिन्न खिलौने और दिया

जिससे जगमग हो घर- बार

मिट्टी का वो जादूगर है

तरह तरह के कलाकृति बना

उसमें जान फूंक देता है

रौशन हो घर और मंदिर का कोना

ऐसे सुन्दर दिये वो मिट्टी से बनाता है

वह कलाकार है शिल्पकार है

सृजन से अपने मन मोह लेता है

वंदनीय है अभिनंदनीय है

पूजनीय है उसकी हर कृति

अंधियारे में जो प्रकाश फैलाए

नभ के तारों को जमीं पर लाता है

ऐसे दिव्य दिये बनाता है।

  अनुराधा प्रियदर्शिनी

  प्रयागराज उत्तर प्रदेश