एक दीप ऐसा जलाएँ

आओ इस बार दीपावली,

कुछ अनोखी मनाते हैं।

आओ एक *दिया* गरीबों के,

घर जाकर जलाते हैं।।

अँधेरी रात में दीपक जलाकर,

श्री के वन्दन से मनाते दीपावली।

चलो अँधेरे जीवन में भर दे रोशनी,

जगमगा उसे आज गरीब की दिवाली।।

पड़ी महंगाई की मार है भारी,

सरसों के तेल ने याद दिलाई नानी।

कुछ दीपक मिठाई करें कपड़ों का दान,

हो जाए गरीब की दिवाली भी सुहानी।।

बरसा ने मारी किसानों की खुशहाली,

खड़ी फसल की डूब गई देखो बाली।

कर सहयोग इनका हौसला बढ़ाएं आज,

किसान के श्रम से भरता हमारा पेट खाली।।

आओ झाँके उनके जीवन में भी हम,

जिसके सर पर न छत न मांँ बाप का साया।

मासूम चेहरे पेट खाली नेत्र भरी है आशा,

अश्रु बहे न इनके वस्त्रों से ढक दें काया।।

कर दे अपने घर के चिरागों से ,

इनके घरों में भी थोड़ा सा उजाला।

खुशियों की दीप जलाकर हम सब,

माँ लक्ष्मी के गले पहनाए माला।।

गीता देवी

औरैया, उत्तर प्रदेश