बेटी है इस विश्व पटल पर प्रकृति प्रदत्त उपहार
मिला नहीं हर मात-पिता को ये सुंदर सबल उपहार
बेटी जिस घर में जन्मी है उसका सौभाग्य अपार
नहीं जन्मती बेटी जिन्ह घर वह पापी होता परिवार
मां प्रसन्न है बेटी बन संतति जब घर में आ जाती
करते देव पुष्पों की वर्षा चहुं दिशि खुशियां छाती
बेटी होती मन हरण मंत्र मुग्धा मनमोहनिया प्यारी सी
गतिविधियां ऐसी करती वह हर पल लागे न्यारी सी
मात-पिता को खुशियां देकर उनके संकट हरती
पुत्र जन्म पर खुशी मनाते कहें बेटी को दुख की धरती
करती सेवा नि:स्वार्थ भाव से तन मन है अर्पण करती
मात-पिता की सेवा करने को ससुराल के ताने सहती
जन्म दिया जिन मात पिता ने अंश खून का होती
सेवाभाव अपनत्व दिखाकर रुधिर का कर्ज चुकाती
बेटी का हृदय प्यार से भरा कुदरत का अनमोल उपहार
तपिश को सहकर शीतलता देती दिल में उसके प्यार अपार
“अलका”कहती इस जगती में बेटी को नहीं मिलता अधिकार
बेटी से रख दुर्भाव पराया कहते ऐसे मात पिता को धिक्कार
“अलका गुप्ता” प्रियदर्शिनी
लखनऊ उत्तर प्रदेश