ग़ज़ल

दिल की दुनिया है व्याकुल बड़ी

हादसों    की    लगी    है   झड़ी

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बेटे  सुनते   नहीं  माँ   की  अब

सबको  अपनी  ही अपनी  पड़ी

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तू   न   आया    मुझे   पर   तेरी

याद   आती    रही    हर    घड़ी

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रात    काली   है   इसके   मगर

पीछे    उजली   सुबह   है  पड़ी

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देश    की   हर  ख़ुशी  के  लिए

लड़   रही   “अर्चना”  हर   घड़ी

अर्चना सिंह

ग्रेटर नॉएडा