सीता परित्याग

राम द्वारा सीता परित्याग कहा तक सत्य हैं,

कदाचित यह परिवर्तित समाज का अपना तथ्य हैं,

क्योंकि राम तो सीता से ही सम्पूर्ण हैं

तो हमने क्यों नहीं माना की ये असत्य है।

राम ही एक मात्र ऐसे राजा हुए विश्वपटल पर,

जो सदैव टिके रहे एक पत्नीव्रत के अटल पर,

राम ने तो दोषियों का भी त्याग न किया कभी,

तो सीता त्याग कैसे छप गया मानसपटल पर।

राम के लिए सदा सर्वोपरि सीता की रक्षा रही,

किन्तु सामने वैदेही की पवित्रता की परीक्षा रही,

वे तो जानते थे की जानकी तो निष्कलंक हैं,

जग को ये बता सके इसलिए अग्निपरीक्षा रही।

सब पर प्रश्न उठाना तो जनता का कर्म हैं,

उनके प्रश्नों का सही उत्तर देना राजा का धर्म हैं,

मात्र कथा समकालीन समाज के अनुरूप गढ़ने को,

राम द्वारा सीता परित्याग को मान लेना कितना अधर्म हैं।

प्रेरणा पाटिल

 सेंधवा, जिला बड़वानी