‘पूर्व तैयारी होगी तो बुढ़ापा आराम से कटेगा’

उम्र के आख़री पड़ाव में तंदुरूस्त रहना है तो अपनी दिनचर्या में अनुशासन को स्थान देना अति आवश्यक है। सहज बुढ़ापा काटने के लिए एक लक्ष्य तय होना चाहिए। मनुष्य जीवन में स्वास्थ्य का बहुत महत्व है। स्वास्थ्य ना तो पैसों से कमाया जा सकता है न ही ये किसी रिश्तेदारों से या दोस्तों से उधार लिया जाता है।

अथाह भागने की कोशिश ठहराव को अजनबी बना देती है। उम्र का एक पड़ाव ठहराव चाहता है, दिमाग और पैरों पर लगाम ही तन का सुकून है। रुको, सोचो और सुकून का आनंद लेते तन को उसका हक प्रदान करो। जवान हड्डियों में मशक्कत की ताकत होती है, बुढ़ापे में उपार्जन का जुगाड़ थका देता है। इसलिए जवानी में ही आरामदायक बुढ़ापे की पूर्व तैयारियां कर लें। बुढ़ापे में यदि आप रोग-रहित और एक स्वस्थ जीवन चाहते है, और अपने बुढ़ापे का भरपूर आनंद लेना चाहते हैं तो अपनी दिनचर्या बदल लीजिए।

कहा जाता है कि बचपन और बुढ़ापा एक समान होता है। यानि बचपन और बुढ़ापे में इंसान सबसे कमजोर होता है और उसे बीमारियों का खतरा अधिक होता है। बुढ़ापे की बात करें, तो डायबिटीज, मोटापा, मोतियाबिंद, पेट की समस्‍या, नींद न आना जैसी समस्‍यायें उम्रदराज लोगों को ज्‍यादा होती हैं। इस दौरान शरीर को फिट और स्‍वस्‍थ रखना मुश्किल होता है क्‍योंकि रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और डाइजेशन भी अच्‍छे से नहीं हो पाता है। ऐसे में अगर नियमित दिनचर्या और सही खान-पान हो तो बढ़ती उम्र के असर को बेअसर किया जा सकता है। ऐसे में सबसे जरूरी है कि आप ऐसे खाद्य-पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल कीजिए जो आसानी से पच जायें। और सालों तक काम करते थके तन को योग और मेडिटेशन द्वारा नखशिख विराम दीजिए। सुबह से शाम तक का समय ऐसे व्यतीत हो की तन और मन स्फूर्ति और शांति का अनुभव करें।

पहले के ज़माने में सुव्यवस्थित दिनचर्या का अमल करते मनुष्य 100 वर्षों तक सुखी शांत और सफल होकर अपने इस जीवन को त्याग कर मोक्ष तक को प्राप्त कर लेता था। भारत के वैदिक आर्यों यानी हमारे पूर्वजों ने अपनी दिनचर्या कुछ इस तरह से बनाई थी जो कठोर अनुशासन और नियमों में बंधी थी इस दिनचर्या के दम पर ही भारत ने लाखों वर्षों तक संसार का नेतृत्व किया हमारे पास दिन के 24 घंटे होते हैं स्वास्थ्य युक्त तथा सफलता से भरपूर दिनचर्या बनाने के लिए कुछ घंटों का समय प्रबंध करना सबसे आवश्यक है। 

शरीर एक मशीन है नींद और आराम हमारे दिमाग के लिए उतना ही जरूरी है जितना शरीर के लिए भोजन। नींद प्रकृति द्वारा दिया गया सबसे बड़ा उपहार है जो इसे खो देते है उन्हें ही इसके मूल्य का पता चलता है। सालों थके तन को आराम रुपी ऑइलिंग की जरूरत होती है, बुड्ढी हड्डियों में इतनी ताकत होनी चाहिए की बिना किसी सहारे के अपना काम खुद कर सके। इसके लिए सुपाच्य खानपान, हल्का व्यायाम और संतुलित दिमाग रखना जरूरी है। इसकी तैयारी जवानी में ही कर लें तो बुढ़ापा आराम से कटेगा। उम्र के एक पड़ाव पर सारी ज़िम्मेदारीयों को निपटा लें और इतनी राशि का प्रबंध कर लें की बुढ़ापा आराम से कटे।

भावना ठाकर ‘भावु’ (बेंगुलूरु, कर्नाटक)