समय के साथ साथ
बदलती है परिस्थितियां
बदलते है लोग पर
बदलता नहीं कभी समय,
कहने को तो आता है
समय बदल गया है
पर समय का चरित्र कभी
बदला है न बदलता है।
समय तो कल भी तटस्थ था
और आज भी तटस्थ हैं।
बस बदलता जाता है परिवेश,
समय के साथ साथ
जितनी भी संवेदनाएं है
खुशियों बनाकर चलना होता है
हमें बस समय के साथ साथ ।
समय को मुट्ठी में बांधना
किसी के बस में नहीं है
समय से लड़ना ही हमारी नियति है।
समय किसी का दोस्त न दुश्मन है
समय तो अपनी जलधारा में
बहता हुआ एक खुला समन्दर है।
लालबहादुर श्रीवास्तव
शब्द शिल्प/एल आई जी/ऐ-15
जनता कालोनी मंदसौर मप्र
9425033960