मन की बात:देर आए दुरुस्त आए सरकार शुक्रिया आपका

, तेरा इश्क़ नचाया…कर के थय्या थय्या …..

तेरा इश्क़ नचाया , तेरा इश्क़ नचाया…कर के थय्या थय्या …..छेती बोड़ी वे तबिबा नय तो मैं मर जैंया …छेती 

इस का बड़ा खूसूरत अर्थ है , व्यक्ख्या बड़ी लम्बी हो जाएगी बस इतना समझ लीजिए कि किसी का इश्क़ नचा डालता है , अच्छे अच्छों को इश्क़ ने नाच नचा दिया , इतना सार ध्यान में रख लीजिए ।

हमारे  मोदी जी , अटल जी से बड़े अटल , अडिग बलशाली , 56 इंच  सीना , एक बार कमिटमेंट कर दी तो कर दी फिर वो जनता की  भी नहीं सुनते …. कई कानून ले आए रातों रात , पास करवा डाले पांच सात मिनटों में जिनके मंत्रियों ने ही ….. वो मोदीजी , जिन्होंने कृषि कानूनों को बदलने या रद्द करने से साफ इंकार किया एक साल से किसानों कि तरफ देखा तक नहीं , जिनके कृषि मंत्री ही बोलते रहे कानून वापस नहीं होंगे दूसरी बात करो … वो अचानक ऐलान कर देते हैं कि ठीक है तीनों कानून वापस लेते हैं माफी के साथ !   कुचलने की कोशिश नाकाम हो गई  ? या ….ये सहृदयता है ?  किसानों के आंदोलन की ताकत है  ? या इश्क़ ने नचाया है ….. वोट के इश्क़ ने …. सत्ता के इश्क़ ने , दो लाख …ढाई लाख की भीड़ भरी रैलियों के इश्क़ ने , जो इस बार भोपाल में बे वफाई कर गई , पच्चीस करोड़ खर्च कर के भी नहीं जुटा पाए मामाजी भीड़ , पूरी ताकत झोंक कर भी मजमा नहीं जमा जनता का पैसा जनता इकट्ठी करने के लिए बहा दिया गया लेकिन खाली कुर्सियां मुंह चिढ़ाती हुई नजर आती रहीं । 

पिछले दिनों मध्यावधि चुनावों के नतीजों  से पता चला है कि वोटर दामन छोड़ रहे हैं दमनकारी नीतियों के खिलाफ आवाज उठ रही है पार्टी के अंदर से ही वरुण गांधी खुल के बोल रहे थे कुचलने पर उन्हें दरकिनार किया गया सजा के तौर पर शायद ।

चुनावी नतीजे , राकेश टिकैत के निर्भीक बयान , स्पष्ट नीति , लंबे समय तक डटे रहने की ताकत , चुनावों में हार जाने का खौफ , जनता का रुख सब कुछ भांप लिया है सरकार ने रही सही कसर भोपाल के आयोजन में देखने को मिली जिसमें करोड़ों रुपए खर्च किए गए जन सैलाब लाने के लिए लेकिन बड़े सरकार के भाषण के समय खाली पड़ी कुर्सियों ने हिला दिया होगा बड़े सरकार को …बीच भाषण के उठ कर जाते हुए श्रोता उनकी इज्जत और लोकप्रियता की कहानी बयां करते हुए दिख रहे थे ।

इसीलिए मुझे याद आ गई ये लाइन ….तेरा इश्क़ नचाया …कुर्सी का इश्क़ , सत्ता का इश्क़  , शक्ति का इश्क़ क्या छोटा मोटा इश्क़ है ?

ये वो नशा है जो क्या नहीं करवा देता … खैर सात सौ किसानों की आंदोलन के दौरान मौत हो गई ऐसा बता रहे हैं किसान नेता .. ये अफसोस नाक है लेकिन आखिर कार खुशी इस बात पर मनाई जा सकती है कि आंदोलन कामयाब हुआ , शहादत फिजूल नहीं गई किसानों की सभी  को दिल से नमन करता हूं बधाई देता हूं , राकेश टिकैत जी के नेतृत्व को प्रणाम करता हूं , उनका साहस ,सहज उद्धबोधन सरकार को हिला देने में कामयाब रहा ।

बड़े मुखिया जी को भी बधाई कि आखिर कार उनके मन में भी किसानों का प्रेम जागृत हो गया और किसानों पर मन की बात कर ही ली सरकार ने   और साथ ही उन्हें कानून वापस लेने का आश्वासन दे दिया ।

सरकार की कमिटमेंट है तो है यकीनन हो जाएगा समझौता , कानून वापसी आदि ।

आखिर इश्क़ जो है , नचा ही दिया आखिर सरकार को भी …….देर आए दुरुस्त आए सरकार शुक्रिया आपका । 

बहुत शुक्रिया बड़ी मेहरबानी

मेरी ज़िन्दगी में हुजूर आप आये

कदम चूम लूँ या

के आँखे बिचा दू

करूँ क्या यह मेरी

समाज में न आये

बहुत शुक्रिया

हनीफ इंदौरी